Expectation
Khetivyapar Modern Farming
Potential Fertilizer and Agrochemical Expenses

25,000रु.

Expected Yield

52  क्विंटल प्रति एकड़

Expected profit (Rs.)

2,52,000 रु.

Traditional Farming
Potential Fertilizer and Agrochemical Expenses

32,000 रु.

Expected Yield

36 क्विंटल प्रति एकड़

Expected profit (Rs.)

2,00,000 रु.

जलवायु (Climate)
  • फसल के बूवाई के बाद कुछ समय के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है।
  • लहसुन के परिपक्व के समय तापमान तुलनात्म रूप में शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है।

तापमान (Temperature)

  • 25 से 30 डिग्री सेल्सीयस तापमान उपयुक्त होता है।
  • मिट्टी में नमी लगभग 70 प्रतिशत होनी चाहिए।

जलमांग (Water Requirement)

  • लहसुन की फसल अधिक पानी चाहने वाली फसल है।
  • इस फसल के लिए 550 से 700 मिलीमीटर जल की आवश्यक है।
मिट्टी (Soil)
  • लहसुन की फसल के लिए हर प्रकार की मिट्टी में खेती की जा सकती है।
  • इस फसल के लिए के लिए रेतीली दोमट उपयोगी होती है।
  • भूमि बेहतर जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • लवणीय से क्षारिय भूमि में लहसुन के फसल में उपज में कमी आ सकता है।

पीएच  (Ph)

  • आदर्श पीएच 6.0 से 7.0 होना चाहिए।
  • अगर पीएच 6 से कम है तब चुने का प्रयोग करें।
  • अगर पीएच 7.5 से अधिक है तब जिप्सम का प्रयोग करें।
प्रमुख किस्में (Variety)

यमुना सफेद (जी-1)

  • समयकाल – 155 से 165 दिन
  • विशेषताएं – प्रत्येक क्लोव गुणवत्ता, क्लोव का रंग का क्रीम
  • उपज – 154 से 160 क्विंटल प्रति एकड़

यमुना सफेद 2 (जी-2)

  • समयकाल – 160 से 175 दिन
  • विशेषताएं – प्रत्येक क्लोव गुणवत्तायुक्त, क्लोव का रंग का क्रीम, झुलसा रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता ।               
  • उपज – 135 से 142 क्विंटल प्रति एकड़

यमुना सफेद 3 (जी-3)

  • समयकाल – 160 से 175 दिन
  • विशेषताएं – प्रत्येक क्लोव गुणवत्तायुक्त , क्लोव का रंग का सफेद, क्लोव बड़े आकार का। प्रत्येक गुच्छें में 15 से 17 क्लोव, सबसे ज्यादा निर्यात की जाने वाली लहसुन की किस्म
  • उपज – 135 से 142 क्विंटल प्रति एकड़
बुवाई (Sowing)
  • लहसुन की फसल को डिबलिंग विधी से बुवाई की जाती है।
  • लहसुन की कली को 5 से 7 सेमी गहराई में दबाया जाता है।
  • कली के ऊपरी भाग को ऊपर की ओर रखें जिससे अंकुरण बेहतर हो सके।

खेत की तैयारी (Preparation of Field)

  • जुताई मिट्टी की प्रकृति के अनुसार 1 से 2 बार जुताई करें व भूमि भुरभुरी हो जाए।
  • मिट्टी पलट हल हल से गहरी जुताई करें ताकि भूमि भुरभुरी हो जाए।
  • खेत में गोबर खाद और कंपोस्ट बैक्टरिया मिलाए।
  •  मिश्रण को मिट्टी लगभग दो सप्ताह खुला  रखे ताकि इसका अपघटन हो सके।

पौधों के बीच की दूरी (Plant to Plant)

  • दो पौधों  की बीच की दूरी  -  15 सेमी
  • दो कतारों  की बीच की दूरी -  6 से 7 सेमी
खाद एवं उर्वरक (Manure & Fertilizer)
  •  इसमें भूमि की उर्वरता क्षमता के आधार पर उर्वरक की मात्रा तय होती है।
  • 10 से 12 टन गोबर खाद या फार्म यार्ड मेन्युर, 3 किलो वर्मी कंपोस्ट, जैविक खाद के उपयोग कर सकते है।  
  • इसमें एनपीके की आवश्यकता 40:20:20 किलो प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है।

फसल की बुवाई के समय  

  • यूरिया –  70 किलोग्राम
  • डीएपी –  43 किलोग्राम
  • म्युरेट ऑफ पोटास - 33 किलोग्राम

फसल के 30  दिन बाद यूरिया की शेष मात्रा का छिड़काव करें।

  • सुक्ष्म पोषक तत्व का उपयोग 2 से 3 वर्षों में एक बार कर सकते है। जिसकों ड्रीप सिंचाई के माध्यम से बेहतर सिंचाई होती है।
  • 7 से 8 किलोग्राम जिंक सल्फेट का उपयोग 2 से 4 वर्षों में एक बार कर सकते है जिससे मृदा जनित रोग से मुक्ति मिलती है।
सिंचाई (Irrigation)
  • बुवाई के कुछ समय बाद ही तुरंत सिंचाई करें।
  • फसल वृद्धि के समय सप्ताह में एक बार सिंचाई अवश्य करें।
  • जब फसल के पकने का समय हो तब 12 से 15 दिन में सिंचाई करें।
  • सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर विधी से हलकी सिंचाई करें।
अंतराशस्य क्रियाएं (Interculture operation )
  • बुवाई के 3 दिन बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडामेथालिऩ का उपयोग 400 मिली प्रति एकड़ के अनुसार कर सकते है।
कटाई (Harvesting)
  • लहसुन की खेती 130 से 150 दिन में फसल कटने के लिए तैयार हो जाती है।
  • पौधों की पत्तिया जब पीली होने लगे तब फसल कटने के लिए तैयार हो जाती है।
  • पौधो को हाथों से उखाड़ कर गुच्छे बनाए व छाव में 12 से 15 दिन तक सुखाए ।

उत्पादन (Yield)

  • 60  से 80 क्विंटल प्रति एकड़ उपज है।