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Protected Farming in Hindi: किसान इस तकनीक से करें खेती, कई गुना बढ़ेगा मुनाफा जानें तरीका

Protected Farming in Hindi: किसान इस तकनीक से करें खेती, कई गुना बढ़ेगा मुनाफा जानें तरीका
Protected Farming in Hindi: किसान इस तकनीक से करें खेती, कई गुना बढ़ेगा मुनाफा जानें तरीका

दुनियाभर में इन दिनों किसान खेती के लिए नई-नई तकनीक अपना रहे हैं। कुछ किसान ऐसा अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए कर रहे हैं तो कुछ किसान जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसा कर रहे हैं।  जलवायु परिवर्तन किसानों के सामने  तापमान और नमी में उतार-चढ़ाव, मौसम परिवर्तन, पाला, कोहरा, ओला, लू, शीतलहर और कीटों जैसी कई चुनौतियां पेश कर रहा है। ऐसे में नई तकनीक से खेती करके इन चुनौतियों से बचा जा सकता है। ऐसी ही एक तकनीक है संरक्षित खेती। इससे किसानों को काफी फायदा पहुंच रहा है। आइए जानते हैं इसके बारे में...

संरक्षित खेती तकनीक के जरिए महंगी सब्जियों की खेती करना आसान है। इससे उन्हें रोगों और अन्य समस्याओं से बचाया जा सकता है। इसमें फसलों के अनुसार वातावरण को नियंत्रित किया जाता है। इसके जरिए कम क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन किया जाता है। संरक्षित खेती में फसलों को प्राकृतिक आपदाओं और कारकों से बचाया जाता है।

ये हैं संरक्षित खेती की खासियतें: 

  • इसके जरिए, सालभर रोग रहित गुणवत्तायुक्त पौधों को कम समय में कई बार उगाया जा सकता है।
  • फसलें तापमान में उतार-चढ़ाव, बारिश, ओला, पाला, बर्फबारी, लू से सुरक्षित रहती हैं।
  • कीटों-पतंगों, जंगली जानवरों से भी फसलें सुरक्षित रहती हैं।
  • उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा देती है।
  • कम जोत वाले किसानों के लिए बहुत उपयोगी तकनीक है जिसके माध्यम से रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है।

संरक्षित खेती के प्रकार:

  • फैन-पैड पॉलीहाउस
  • प्राकृतिक वातायन पॉलीहाउस
  • कीट अवरोधी नेट हाउस
  • छायादार नेट हाउस
  • प्लास्टिक टनल
  • प्लास्टिक मल्य

किस संरचना में कौन सी सब्जियां उगाई जा सकती हैं: 

  • फैन-पैड पॉलीहाउस- नर्सरी, टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च
  • प्राकृतिक वातायन पॉलीहाउस-  नर्सरी, टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च
  • कीट अवरोधी नेट हाउस- नर्सरी, टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च
  • छायादार नेट हाउस- केवल नर्सरी और पत्तीदार सब्जियां
  • प्लास्टिक टनल- अगेती चप्पन, कद्दू, लौकी, तोरी
  • प्लास्टिक मल्य- समस्त टमाटरवर्गीय और कद्दूवर्गीय सब्जियां

बड़ी बचत संरक्षित खेती से प्रति हेक्टेयर में 5,000 रुपये की बचत होती है. इससे 20-35% पानी की बचत, समय की बचत- 25-30%, ईंधन की बचत- 60-75%, मेहनत की बचत- 25-30%, ट्रैक्टर चालन की बचत- 60-75% होती है। वहीं, उपज में 10-12% की बढ़ोतरी, खरपतवार में 30-45% की कमी, उर्वरक की 15 से 20% की बचत होती है।

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