कोयंबटूर स्थित तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति ने छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत की राह खेतों से होकर गुजरती है, और इन खेतों को संवारने का कार्य आपके जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के माध्यम से ही संभव है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने देश की खाद्य सुरक्षा में ऐतिहासिक योगदान दिया है।
कृषि क्षेत्र के महत्व पर बल देते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का हृदय गांवों में धड़कता है और कृषि ही रोजगार तथा अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है। उन्होंने चेताया कि भले ही 46% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, लेकिन कृषि का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान मात्र 16% है। इसलिए कृषि क्षेत्र को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की आवश्यकता है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि अब हमें खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर किसानों की समृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
कृषि विज्ञान केंद्रों के सशक्तिकरण पर दिया जोर
उप राष्ट्रपति ने छात्रों और शिक्षकों से आह्वान किया कि वे 'लैब से भूमि' तक की दूरी को समाप्त करें और खेतों तक नवाचार पहुंचाएं। उन्होंने 730 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों (Krishi Vigyan Kendras) को सशक्त बनाने और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के साथ समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उप राष्ट्रपति का छात्रों और शिक्षकों को कृषि क्षेत्र पर संदेश
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर में आयोजित कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति ने छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों को केवल उत्पादक की भूमिका से ऊपर उठकर मूल्यवर्धन और विपणन के क्षेत्र में भी सक्रिय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसे औपचारिक और अनौपचारिक पाठ्यक्रम विकसित करने चाहिए जो किसानों और उनके बच्चों को कृषि में उद्यमिता की ओर आकर्षित करें।
उन्होंने कहा कि जब देश में खराब होने वाले उत्पादों जैसे टमाटर का उत्पादन अत्यधिक होता है, तब किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में कृषि संस्थानों को इन उत्पादों को टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों में बदलने के प्रयास करने चाहिए। इससे किसानों की आय बढ़ेगी, रोजगार के अवसर सृजित होंगे और घरेलू एवं वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
एग्री-स्टार्टअप्स और किसानों को योजनाओं से जोड़ने पर जोर
उप राष्ट्रपति ने बताया कि देश में वर्तमान में करीब 6,000 एग्री-स्टार्टअप हैं, जो 1.4 अरब की आबादी और 10 करोड़ किसानों के अनुपात में अपर्याप्त हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना तथा किसानों के लिए एक लाख करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान वाले फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइज़ेशन (FPO) योजना की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसानों को इन पहलों की जानकारी देकर उन्हें जागरूक करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि उर्वरक सब्सिडी सीधे किसानों को दी जाए तो प्रत्येक किसान को सालाना लगभग ₹35,000 मिल सकते हैं। उन्होंने इस विषय पर अनुसंधान करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा कि जब किसान अपनी उपज पर आधारित छोटे उद्योग शुरू करेंगे, तो न केवल उनकी आय बढ़ेगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी व्यापक आर्थिक विकास होगा। उप राष्ट्रपति ने कॉर्पोरेट क्षेत्र से किसानों के साथ ईमानदारी से जुड़ने और कृषि अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाने का भी आह्वान किया। अपने संबोधन के अंत में उप राष्ट्रपति ने कहा कि यदि भारत को वर्ष 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो कृषि क्षेत्र को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी और किसानों की आय को आठ गुना बढ़ाना होगा।