विज्ञापन
कुंभ मेला 2025 का पावन अवसर आने वाला है और प्रयागराज इस समय एक अद्भुत आध्यात्मिकता का केंद्र बना हुआ है। गंगा,युमना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। इस ऐतिहासिक आयोजन के दौरान संगम नगरी में स्थित मनकामेश्वर मंदिर की यात्रा अवश्य करें। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती है।
प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर गंगा के किनारे संगम क्षेत्र से थोड़ी दूरी पर स्थित है। कुंभ के दौरान यह मंदिर एक अलौकिक आभा से भर जाता है जब यहां लाखों-करोड़ो भक्त शिव की आराधना के लिए इक्ठ्ठे होते है। ऐसा माना जाता है कि अगर कुंभ स्नान के बाद इस मंदिर में दर्शन के लिए जाए तो मन को शांति और नई ऊर्जा मिलती है।
ये भी पढें... संगम नगरी के इस मंदिर दर्शन से ही मिट जाता है कालसर्पदोष
मनकामेश्नर यानी कामेश्वर पीठ का वर्णन स्कंद पुराण और पदम पुराण में मिलता है। पुराणों के अनुसार,कामेश्वर धाम में भगवान शिव अपने काम को भस्म कर स्वयं विराजमान हुए थे। बताया जाता है कि त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने वनवास जाते समय प्रयाग में रुककर अक्षयवट के नीचे विश्राम किया था। इसी दौरान मां सीता के कहने पर प्रभु श्रीराम ने कामेश्वर धाम में शिवलिंग स्थापित किया था।
मंदिर की वास्तुकला: मनकामेश्वर मंदिर की खूबसूरती और अनुष्ठान इसकी पहचान हैं। यह पारंपरिक हिंदू शैली में बना है। मंदिर में शिवलिंग के साथ देवी पार्वती, भगवान गणेश और अन्य देवताओं की मूर्तियां भी हैं।
मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शन पाने के लिए भक्तों की भीड़ रोजाना ही मंदिर प्रागंण में पहुंचती है लेकिन महाशिवरात्रि और सावन के महीने में लगी लंबी कतारों की बात ही कुछ और है। भक्त घंटो लंबी लाईन में खड़े होकर भगवान के दर्शन पाते है। कुंभ,अर्ध कुंभ और माघ मेला के दौरान भी यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन का लाभ पाते है। कुंभ के दौरान, मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है और यहां विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। शिवभक्तों के भजन, मंत्रोच्चार और दीपों की रौशनी से मंदिर का माहौल दिव्य हो जाता है।
ये भी पढें... बाबा काशी नगरी में मृत्युंजय मंदिर, शिवभक्ति और चमत्कारों का अद्वितीय संगम
कैसे पहुंचे मनकामेश्वर मंदिर: प्रयागराज के मशहूर नया नैनी पुल से नीचे गई सीढ़ियों से नीचे उतर कर 2 से 3 तीन किलोमीटर पैदल चलने पर आप मनकामेश्वर मंदिर आसानी से पहुंच सकते है। रेल्वे स्टेशन से 20-30 रुपये प्रति व्यक्ति किराया देकर नैनी पुल तक पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर प्रयागराज रेलवे स्टेशन से लगभग 5 से 6 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए ऑटो, टैक्सी या बस का उपयोग किया जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डा बमरौली है।
मनकामेश्वर मंदिर तक पहुंचना कुंभ मेले के दौरान आसान होता है। प्रशासन की ओर से विशेष वाहन सेवा उपलब्ध रहती है, जिससे भक्त मंदिर तक आराम से पहुंच सकते हैं। यह मंदिर संगम क्षेत्र से मात्र कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और गंगा की ठंडी हवा के साथ यहां का शांत वातावरण हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
कुंभ मेले के दौरान इस मंदिर के दर्शन आपकी तीर्थ यात्रा को खास बना देगा। यह एक ऐसा अनुभव होगा जिसे आप हमेशा याद रखेंगे।
ये भी पढें... झारखंड में स्थित बाबा भोले का यह मंदिर चार धाम की यात्रा के साथ दूर करता है भक्तों के सारे कष्ट