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23 जनवरी 2025 को आयोजित होगा पशुपालन सम्मेलन का उद्घाटन, निवेश बढ़ाने और कृषि प्रथाओं को मिलेगा बढ़ावा

पशुपालन और मुर्गीपालन
पशुपालन और मुर्गीपालन

पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग, 23 से 24 जनवरी 2025 तक शिलांग, मेघालय में "उत्तर-पूर्व भारत में पशुपालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए संवाद" थीम पर एक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। इस सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह (लालन सिंह), मंत्रालय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी एवं पंचायती राज के द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में किया जाएगा। 

इस अवसर पर कई परियोजनाओं को उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लोगों को समर्पित किया जाएगा और पशुपालन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए उद्योग के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। 

पशुपालन और मुर्गीपालन क्षेत्र में विकास के लिए प्रमुख चर्चाएं:

इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर लाकर पशुपालन और मुर्गीपालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए रणनीतियों पर चर्चा करना है। सम्मेलन का उद्देश्य वर्तमान स्थिति और चुनौतियों का मूल्यांकन करना, विकास के अवसरों की पहचान करना और मूल्य श्रृंखला सुदृढ़ीकरण, तकनीकी हस्तक्षेप और नीति समर्थन के माध्यम से विकास के मार्ग का अन्वेषण करना है। यह किसानों, उद्यमियों, नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं सहित सभी हितधारकों के बीच ज्ञान साझा करने और क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करेगा और सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देगा जो "वन हेल्थ" दृष्टिकोण से मेल खाते हों।

सरकार की प्रमुख योजनाओं से पशुपालन क्षेत्र में नया बदलाव:

भारत सरकार विभिन्न प्रमुख योजनाओं का कार्यान्वयन कर रही है जैसे कि पशुपालन इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निधि, राष्ट्रीय पशुपालन मिशन के तहत उद्यमिता विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD), जिनका उद्देश्य देश में उत्पादकता बढ़ाना और सतत पशुपालन प्रथाओं को बढ़ावा देना है। यह सम्मेलन क्षेत्रीय पशुपालन और मुर्गीपालन उद्योगों में सतत और समावेशी विकास के लिए नया रास्ता तैयार करेगा।

पशुपालन सम्मेलन में प्रमुख सचिवों और विशेषज्ञ होंगे शामिल: पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव श्रीमती अल्का उपाध्याय, विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (NER) राज्यों के प्रमुख सचिव भी दो दिवसीय संवाद में भाग लेंगे। सम्मेलन में वैज्ञानिकों, NGOs, उद्यमियों और निजी क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों की भी भागीदारी होगी।

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