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दलहन उत्पादन क्षेत्र में अधिक से अधिक किसानों को अरहर की खेती के लिये सरकार बढ़ावा दे रही है। अरहर की खेती को फसल एक खरीफ की दलहनी फसल है।
अरहर की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रोत्साहन योजना की शुरूआत की है। इस योजना में राज्य के 11 जिलों में खरीफ सीजन में अरहर की खेती कराई जाएगी। सरकार किसानों को अरहर की खेती के लिए बीज पर 80% अनुदान मिलेगा। एक किसान को अधिकतम 2 एकड़ में अरहर की खेती के लिए 16 किलो बीज अनुदानित दर पर मिलेगा।
अरहर की खेती के लिये प्रोत्साहन योजना को बढ़ावा दिया गया। इसके साथ औरंगाबाद, मुंगेर, शेखपुरा, जहानाबाद, अरवल, नवादा, लखीसराय, बांका, जमुई और नालंदा जिले शामिल हैं। किसानों को 10 साल से कम अवधि की अरहर फसल के प्रमाणित बीज भी उपलब्ध करायेगी।
अरहर की खेती करने के लिये करें जरूरी काम: अरहर की खेती के लिये अधिक सिंचाई के अलावा सूर्य के प्रकाश की भी आवश्यकता होती है। अरहर की बुवाई के लिये जून-जुलाई का महीना सर्वोत्तम अच्छा माना जाता है। अरहर की अच्छी पैदावार के लिये को दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी बेहतर होती है। अरहर की बुवाई से पहले खेतों में गोबर की कंपोस्ट खाद को डालकर मिट्टी में मिला दें। खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई के बाद जल निकासी का प्रबंध करें। बुवाई के लिये अरहर की उन्नत किस्मों का चयन करें, इससे गुणवत्तापूर्ण उत्पादन लेने में मदद मिलेगी। खेतों में अरहर की बुवाई से पहले बीजोपचार करना जरूरी है, जिससे फसल में कीट-रोग न लगे।
ऑनलाइन करें आवेदन: 11 जिलों में 10 हजार क्विंटल अरहर के बीज किसानों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को प्रखंडों में लाइसेंस प्राप्त बीज विक्रेता के माध्यम से बीज दिलाया जाएगा। योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को कृषि विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना है।
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