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झारखंड: देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम एक अद्भुत तीर्थ स्थल है। बाबा बैद्यनाथधाम भगवान शिव और देवी शक्ति के अद्वितीय संगम को दर्शाता है। यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। देवी सती के शरीर का अंग इस मंदिर में गिरने के कारण बाबा बैद्यनाथधाम शक्तिपीठ मंदिर भी माना जाता है। यहां भगवान शिव को "बैद्यनाथ" यानी चिकित्सकों के भगवान के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि यहां का जल चमत्कारी है जो शरीर की अनेक बीमारियों को दूर करता है।
बाबा बैद्यनाथ धाम का इतिहास काफी पुराना है। यहां स्थित ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू माना जाता है। इस मंदिर में मौजूद प्रतिमाओं को प्राचीन काल से पूजा जाता रहा है। इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है। भगवान शिव की उपाधि "बैद्यनाथ" उनके उपचारक रूप का प्रतीक है। इस मंदिर के जल में उपचार की अद्भुत क्षमता मानी जाती है।
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शक्तिपीठ: दैवीय शक्ति का प्रतीक बाबा बैद्यनाथ धाम शक्तिपीठ का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह मान्यता है कि देवी सती का हृदय यहां गिरा था और तब से इस स्थान को हृदय पीठ या हृदय तीर्थ माना जाता है। इस शक्तिपीठ की पूजा देवी जया दुर्गा के रूप में होती है।
आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव Spiritual journey experience:
बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा भक्तों के लिए एक खास अनुभव होती है। श्रावणी मेला के दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा के पवित्र जल से भरा कांवड़ लेकर देवघर पहुंचते हैं। भक्त अपने कांवड़ में गंगा जल भरकर बाबा बैद्यनाथ में चढ़ाकर अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करते हैं।
श्रावणी मेला: आस्था का महापर्व श्रावणी मेला बाबा बैद्यनाथ धाम का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। यह मेला हर साल श्रावण माह में आयोजित किया जाता है। इस समय लाखों भक्तों का तांता लगा रहता है और पूरा शहर भक्ति के रंग में रंग जाता है। श्रावणी मेले के दौरान कांवड़ियों की भीड़ बड़ी संख्या में बाबा बैद्यनाथ के दरबार पहुंचती है। आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का प्रतीक बाबा बैद्यनाथ धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह भक्तों को शांति, समृद्धि और आंतरिक संतुलन भी प्रदान करता है। यहां की वास्तुकला, आस्था और ऊर्जा भारत की आध्यात्मिक विरासत का अद्वितीय उदाहरण हैं।
कैसे पहुंचे बाबा बैद्यनाथ के द्वार: बाबा बैद्यनाथ धाम झारखंड के देवघर शहर में स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन जसीडीह जंक्शन है। रेल्वे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब 7-8 किलोमीटर है। जसीडीह से आप ऑटो, टैक्सी या बस से आसानी से मंदिर तक जा सकते हैं। हवाई यात्री करने वाली दर्शनार्थियों के लिए देवघर एयरपोर्ट सबसे नजदीक है। देवघर एयरपोर्ट की मंदिर से दूरी करीब 10 किलोमीटर है। यहां से टैक्सी या कैब के जरिए मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से आने वाले लोग झारखंड और बिहार के प्रमुख शहरों से सीधी बस या अपनी गाड़ी से देवघर पहुंच सकते हैं। सड़कें अच्छी हैं और यात्रा आरामदायक रहती है।
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