फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग ने गांव, खंड और जिला स्तर पर टीमों का गठन किया है। हरसेक द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से फसल अवशेष में आग लगाने पर नजर रखी जा रही है। आग लगाने वाले का पता लगाकर जीपीएस लोकेशन किसान को भेजा जाएगा और नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों से फसल अवशेष न जलाने की अपील की है।
उपनिदेशक डॉ. विनोद फोगाट के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है। सुमित भारद्वाज विषय विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में उपनिदेशक कार्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। समझाने के बाद भी यदि कोई किसान फसल अवशेष जलाता है तो जुर्माना और उचित कार्रवाई की जाएगी।
सहायक कृषि अभियंता नसीब सिंह धनखड़ के अनुसार, 90% गेहूं की कटाई हाथ से या कोप रिपर से होती है, जिससे फसल अवशेष प्रबंधन में चुनौती नहीं होती। कंबाइन हार्वेस्टर द्वारा कटाई वाले क्षेत्रों में गेहूं के अवशेष अधिक मात्रा में बचते हैं। किसान स्ट्रा-रीपर, रोटावेटर या डिस्क हैरो का उपयोग करके इनका प्रबंधन कर सकते हैं।
दरअसल, फसल अवशेष जलाना गैरकानूनी है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। Kheti Vyapar का भी किसानों से आग्रह है कि वे वैकल्पिक तरीकों का उपयोग करके फसल अवशेषों का प्रबंधन करें। कृषि विभाग किसानों को जागरूक करने और उनकी मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।