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फसल अवशेष जलाने पर सख्त पाबंदी, पर्यावरण सुरक्षा के लिए सरकार का बड़ा फैसला

फसल अवशेष जलाने पर सख्त पाबंदी
फसल अवशेष जलाने पर सख्त पाबंदी

भोपाल के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट श्री सिद्धार्थ जैन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए जिले की भौगोलिक सीमा में खेतों में खड़े गेहूं के डंठल (नरवाई/पराली) जलाने पर आगामी तीन माह तक पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।

नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान Disadvantages of Burning Crop Residue:

जारी आदेश के अनुसार, पराली जलाना न केवल कृषि के लिए हानिकारक है, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी गंभीर नुकसानदायक साबित होता है। इससे विगत वर्षों में कई गंभीर अग्नि दुर्घटनाएं हुई हैं, जिससे जान-माल की भारी हानि हुई है। अनियंत्रित आग से जन-संपत्ति, प्राकृतिक वनस्पति और जीव-जंतुओं को व्यापक क्षति पहुंचती है। इसके अतिरिक्त, खेतों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता घटती है और फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है।

खेतों में बचे डंठल और भूसे के प्राकृतिक रूप से सड़ने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, लेकिन इन्हें जलाने से ऊर्जा और पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा, पराली जलाने से जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और पर्यावरण को गंभीर क्षति होती है।

कानूनी कार्रवाई का प्रावधान
यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन की जिम्मेदारी
समस्त अनुविभागीय अधिकारी, नगर पालिका अधिकारी और इसके साथ ही अन्य अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में इस आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेंगे। संबंधित कार्यालयों और थानों में इस आदेश को नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर व्यापक स्तर पर प्रचारित किया जाएगा।

पर्यावरण और कृषि की रक्षा के लिए प्रशासन की अपील
प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे खेतों में पराली जलाने से बचें और पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाकर मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखें। जागरूकता और सामूहिक प्रयासों से ही पर्यावरण और कृषि को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
 

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