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पशुओं को ज्वार का हरा चारा खिलाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

ज्वार का हरा चारा
ज्वार का हरा चारा

गर्मी के मौसम में हरा चारा पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह न केवल पशुओं को ताजगी और ऊर्जा देता है, बल्कि गर्मी में पानी की कमी को भी पूरा करता है। हरे चारे में नमी अधिक होती है, जो पशुओं को गर्मी और हीट स्ट्रेस से बचाती है। लेकिन इस मौसम में हरे चारे की कमी भी हो जाती है, जिससे किसानों को परेशानी होती है।

फोडर एक्सपर्ट के मुताबिक, गर्मी के मौसम में खासकर ज्वार का हरा चारा पशुओं को बहुत संभलकर खिलाना चाहिए। ज्वार का चारा इस मौसम में सबसे ज्यादा होता है, लेकिन इसे सही तरीके से इस्तेमाल न करने पर यह पशुओं के लिए खतरनाक भी हो सकता है। अगर जरा सी लापरवाही बरती जाए, तो ज्वार का चारा जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे में किसानों और पशुपालकों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।

ज्वार का चारा समय से पहले न काटें Do not cut the jowar fodder before time:

फोडर विशेषज्ञों के अनुसार, ज्वार का हरा चारा आमतौर पर मार्च-अप्रैल में बोया जाता है, लेकिन कुछ किसान इसे 50 दिन पूरे होने से पहले ही काट लेते हैं। यह तरीका गलत है, क्योंकि ज्वार का चारा हमेशा 50 दिन बाद ही काटना चाहिए। अगर इसे जल्दी काट लिया जाए, तो यह दूषित हो सकता है और पशुओं के लिए हानिकारक हो सकता है।

सिंचाई में पानी की कमी न करें Do not reduce the amount of water in irrigation:

इसके अलावा, ज्वार के हरे चारे की सिंचाई में पानी की कमी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। अगर चारे में नमी कम हो जाती है, तो उसमें हाइड्रोजन साइनाइड (एचसीएन) जैसे हानिकारक तत्व बनने लगते हैं। जब एचसीएन का स्तर 20 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम चारे से ज्यादा हो जाता है, तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है। खासकर जब ज्वार की हाइट 3 से 5 फीट होती है। अगर पशु इस चारे को खाता है, तो यह उसके लीवर एंजाइम्स को खत्म कर सकता है और शरीर में एचसीएन जमा होने लगता है, जिससे पशु की मौत हो सकती है।

एचसीएन से बचाव के उपाय: अब कुछ ज्वार की नई किस्में आ गई हैं जिनमें एचसीएन की मात्रा बहुत कम होती है, और ये पशुओं के लिए ज्यादा सुरक्षित होती हैं। इस तरह के ज्वार का चयन करने से पशुपालक अपनी फसलों से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं और पशुओं की सेहत को भी बचा सकते हैं। किसानों और पशुपालकों को इन सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि गर्मी में उनके पशुओं को सही पोषण मिल सके और वे स्वस्थ रहें। सही तरीके से हरा चारा खिलाने से न सिर्फ पशु स्वस्थ रहेंगे, बल्कि उनकी उत्पादन क्षमता भी बढ़ेगी।

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