कृषि क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 18% योगदान है। खासतौर पर कोविड के समय, पूरे विश्व ने यह जाना कि भारत का कृषि क्षेत्र अन्य देशों की तुलना में अधिक मजबूत है। केंद्र सरकार इस क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उनकी सरकार भारत को दुनिया की खाद्य टोकरी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पुणे में आज गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि शोधकर्ताओं का काम केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे किसानों तक भी पहुंचाया जाना चाहिए।
श्री चौहान ने जोर देकर कहा कि कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों और किसानों को साथ आकर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने किसानों की मदद के लिए 'मॉडर्न कृषि चौपाल' कार्यक्रम शुरू किया है। यह एक ऐसा मंच है जहां किसान, शोधकर्ता और वैज्ञानिक एक साथ बैठकर कृषि क्षेत्र की समस्याओं और नए अवसरों पर चर्चा करेंगे।
कृषि जानकारी को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने पर जोर : उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र से जुड़ी जानकारी केवल अंग्रेजी तक सीमित नहीं होनी चाहिए। इसे भारत की विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित करना आवश्यक है ताकि ‘लैब से जमीन तक’ की दूरी को कम किया जा सके।
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर 2024 को नदी जोड़ो परियोजना का शुभारंभ करेंगे। यह परियोजना बाढ़ और सूखे जैसी समस्याओं से निपटने के लिए बनाई गई है। इस योजना से भारी वर्षा वाले क्षेत्रों और सूखे की स्थिति वाले क्षेत्रों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी तकनीक विकसित करना जरूरी है जो कम पानी में अधिक सिंचाई कर सके। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल उनकी सरकार ने किसानों को 1.94 लाख मीट्रिक टन सब्सिडी प्रदान की। किसानों को तत्काल धन की जरूरत पड़ने पर उन्हें साहूकार के पास जाने की आवश्यकता न पड़े, इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी गई है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि: श्री चौहान ने कहा कि 2014 से 2024 के बीच सरकार ने कई उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को दोगुना कर दिया है, जिससे किसानों को बड़े पैमाने पर राहत मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें हमेशा आयात पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो किसानों को अधिक लाभ प्रदान कर सकें।