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किसान अपने खेतों में ज्यादा उपज पाने और कमाई करने के लिए अच्छी खाद का इस्तेमाल करते हैं। ये खाद आमतौर पर या तो वे खुद बनाते हैं या फिर ये बाजार में आसानी से मिल जाती है। लेकिन एक ऐसे भी खाद है जिसे काम ही किसान बनाना जानते होंगे। इसका नाम है सींग खाद। इसे आमतौर पर दुधारू पशु जैसे कि गाय के मर जाने के बाद उसकी सींग से बनाया जाता है। इसे बनाने की एक खास विधि है। इस सींग खाद के जरिए किसान फसलों की पैदावार बढ़ा रहे हैं। आइए जानते हैं इस विधि के बारे में...
आमतौर पर सींग की खाद बनाने के लिए जरूरी सामग्री के रूप में मरी हुई दुधारू गाय की सींग, गाय का ताजा गोबर, पुरानी कम्पोस्ट खाद और मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। सबसे पहले मरी हुई गाय के कंकाल से सींग लिया जाता है, फिर सींग के अंदर के पदार्थ को हाथ से खुरचकर बाहर निकाल लिया जाता है। मतलब उसे अंदर से खोखला कर दिया जाता है। इसके बाद उसे साफ पानी से धोकर धूप में सुखाकर उसकी बदबू दूर की जाती है। फिर दूध देने वाली गाय के गोबर को सींग में अच्छी तरह से दबा कर रख दिया जाता है।
गोबर भरकर सींग को किसी खुले स्थान पर उपजाऊ भूमि में गाढ़ा जाता है। इसके लिए लगभग 40 सेमी गहरा गड्ढा खोदना होता है। गड्ढे की लंबाई और चौड़ाई आवश्यकता अनुसार ले सकते हैं। उसके बाद उस गड्ढे को मिट्टी और सड़े हुए गाय के गोबर से 25:1 अनुपात में भर दें, और उस जगह पर समय-समय से पानी का छिड़काव कर गीला करते रहें।
वैसे सींगों को अक्टूबर-नवम्बर के समय जमीन में गाड़ा जाता है। इन सींगों को 6 महीने तक गड्ढे में रखा जाता है। सींगों को निकालने के लिए मार्च से अप्रैल का समय उचित रहता है। सींग को गड्ढे से बाहर निकालकर उसमें से खाद निकाल लेते हैं। इस खाद को मिट्टी के बर्तन में निकालकर ठंडे और नम स्थान पर रख दें, यदि तापमान अधिक हो तो मिट्टी के बर्तन को दो-तिहाई मिट्टी में दबा दें और आसपास की मिट्टी को पानी छिड़क कर ठंडा रखें।
सींग से खाद निकलकर 75 ग्राम सींग की खाद 40 लीटर साफ पानी में मिलाकर 1 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रयोग किया जाना चाहिए। सींग की खाद का उपयोग करते समय इसे लकड़ी के डंडे से दोनों तरफ (उल्टी व सीधी दिशा में) हिलाएं। जानकारों के मुताबिक घोल बनाने के 1 घंटे के भीतर ही उपयोग में लाना उचित रहता है। सींग खाद का दो-तीन साल तक नियमित उपयोग करने से जमीन में गुणात्मक सुधार आ जाते हैं।