मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने निराश्रित गौ-वंश के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए निजी भागीदारी के माध्यम से वृहद गौ-शालाओं की स्थापना की योजना बनाई है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा "मध्यप्रदेश राज्य में स्वावलंबी गौ-शालाओं की स्थापना नीति-2025" को स्वीकृति प्रदान की गई है।
पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री लखन पटेल ने बताया कि इस नीति के माध्यम से न केवल निराश्रित गौ-वंश का समुचित पालन-पोषण होगा, बल्कि पशुपालन एवं डेयरी आधारित रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
गौ-शालाओं में पशु आहार हेतु दी जाने वाली अनुदान राशि को 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति गौवंश प्रतिदिन किया गया है। यह निर्णय गौ-वंश के पोषण और देखरेख की दिशा में बड़ा समर्थन साबित होगा।
नई नीति के अंतर्गत निजी निवेशकों को वृहद गौ-शालाओं की स्थापना हेतु शासकीय भूमि के उपयोग के अधिकार दिए जाएंगे। न्यूनतम 5000 गौ-वंश के पालन हेतु अधिकतम 125 एकड़ भूमि प्रदान की जाएगी। इसके बाद प्रत्येक 1000 अतिरिक्त गौ-वंश पर 25 एकड़ भूमि और गोबर, गोमूत्र या दूध आधारित उत्पाद इकाइयों हेतु 5 एकड़ अतिरिक्त भूमि का प्रावधान भी किया गया है।
पात्रता और मानक: नीति के अनुसार गौ-शालाओं में कम से कम 70% निराश्रित, अशक्त या गैर-दुधारू गौ-वंश होना अनिवार्य होगा, जबकि अधिकतम 30% उत्पादक गौ-वंश को शामिल किया जा सकेगा।
बेहतर प्रबंधन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश: