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बिहार का कृषि रोडमैप, किसानों की आय बढ़ाने की 6 नई रणनीति के बारे में जाने

बिहार कृषि रोडमैप
बिहार कृषि रोडमैप

बिहार किसानों के जरिए उगाएं गए मखाना, कतरनी चावल और मगही पान समेत अन्य चीजों की देश ही नहीं बल्कि विदेशों के बाजार में भी अधिक मांग है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 अगस्त, 2024 को कृषि भवन पटना में किसानों के साथ संवाद किया। कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि श्री चौहान, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, कृषि मंत्री मंगल पाण्डेय द्वारा कृषि भवन के परिसर में शाही लीची का पौध रोपण किया गया। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ है व किसान इसकी आत्मा है। 

बिहार के चौथे कृषि रोड मैप से किसानों की उन्नति:

बिहार का मखाना, मगही पान, मक्का, कतरनी चावल और चाय बहुत ही खास है। केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कहा कि बिहार के 90 प्रतिशत किसानों के पास छोटी-छोटी जोत है और इसी जोत पर  किसान अद्भभुत चमत्कार कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र की अपार संभावनाओं के उद्देश्य से बिहार में वर्ष 2008 से कृषि रोड मैप का सूत्रण एवं कार्यान्वयन किया जा रहा है। अब तक तीन कृषि रोड मैप का क्रियान्वयन पूर्ण किया गया है। चौथा कृषि रोड मैप 2023-28 का कार्यान्वयन किया जा रहा है। कृषि रोड मैप के क्रियान्वयन से बागवानी फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने किसानों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि बिहार की प्रतिभा दुनिया में अद्भूत है।  उन्होंने कहा कि बिहार का मखाना निर्यात करने योग्य है। 

कृषि मंत्री ने दिए कृषि क्षेत्र के लिये 06 सूत्र:

  1. उच्च गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन कर उपज को बढ़ावा दिया जाये, किसानों के खेतो में जाकर कम पानी में उगाए जाने वाले धान के बीज, बाजरा के कम अवधि का बीज व जलवायु अनुकूल विभिन्न फसलों के बीजों को किसानों को दिया गया है।
  2. उत्पादन की लागत कम तथा किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये से सस्ता लोन किसानों को उपलब्ध कराकर मुनाफा को बढ़ाना।
  3. वर्तमान में 23 फसलों का एमएसपी मूल्य निर्धारित कर किसानों को उत्पादन का उचित मूल्य प्राप्त हो।
  4. फसल विविधीकरण के द्वारा बिहार में मक्का तथा मोटे/पोषक अनाज का उत्पादन बढ़ा है। राज्य के कई जिलों में इथेनॉल इकाईयों की स्थापना से बॉयोफ्यूल को बढ़ावा मिल रहा है.
  5. खाद्य प्रसंस्करण की स्थापना के लिये  राज्य में कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाईयों और भण्डारण की अपार सम्भावनाएँ है।
  6. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशियों के इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरा शक्ति में ह्रास हो रहा है। इसलिए अच्छी उर्वरा शक्ति वाली मिट्टी उपलब्ध कराने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाना है।

बिहार के किसानों का गुणवत्तायुक्त बीजों पर होगा फोकस:

बिहार के अधिकतर किसान कृषि पर निर्भर हैं और खेती से ही अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। बिहार में खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित उद्योग की स्थापना पर कार्य किया जा रहा है, जिससे किसान खुशहाल होंगे। केन्द्रीय मंत्री ने जल्द ही बिहार में गुणवत्तायुक्त बीज से संबंधित सभी माँगों पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, बिहार राज्य में अवस्थित दोनों कृषि विश्वविद्यालय, बीज कम्पनियों तथा विभागीय पदाधिकारियों की बैठक आयोजित करने के साथ बिहार की सभी माँगों पर विचार करने का आश्वासन दिया।
 

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