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गर्मियों में करें लौकी और खीरे की खेती– जानें सही समय, उन्नत किस्में और बेस्ट तकनीक

लौकी और खीरे की खेती
लौकी और खीरे की खेती

गर्मियों में लौकी और खीरा की मांग सब्जियों में सबसे अधिक रहती है। यह जल्दी तैयार होने वाली फसलें हैं और बाजार में इनकी कीमत भी अच्छी मिलती है। यदि सही समय और उन्नत तकनीकों का उपयोग करके किसान कम लागत में अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। आइए जानते हैं लौकी और खीरे की खेती का सही समय और उन्नत तकनीकें।

लौकी की खेती कब करें और जरूरी पोषक तत्व:

लौकी की बेलों की बेहतर वृद्धि के लिये 26 से 30 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर होती है। इनकी खेती वर्षा ऋतु में की जाती है। लौकी की खेती बुवाई के लिये सही समय मार्च से अप्रैल का महीना बेहतर होता है। इसके लिये दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। लौकी की खेती गर्मियों में 5-7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। लौकी की फसल में गोबर की खाद 250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर, नाईट्रोजन 80-90 किलो प्रति हेक्टेयर, फास्फोरस 30-40 किलो प्रति हैक्टेयर और पोटाश 40 किलो प्रति हैक्टेयर का उपयोग करें। लौकी की तुड़ाई, बुवाई के 50-60 दिन के अंतराल में फसल तैयार होने के बाद करें। लौकी की खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 300-400 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। लौकी की फसल में बीमारी लगने का भी खतरा होता है। इसकी रोकथाम के लिये बीजों को बोने से पहले कार्बेण्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित कर बुवाई करना चाहिए।

लौकी की उन्नत किस्में:

  1. पूसा नवीनः इसके फलों का रंग हरा, उपल 250-300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है। फलों की लंबाई 40 सेमी. व भार करीब 400 ग्राम होता है। 
  2. यु.एस.एम. श्रवणः इसके फलों की लम्बाई 30 सेमी. व वजन करीब 350 ग्राम होता है। इसका रंग हल्का हरा और उपज 300-350 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक होती है। 

स्वास्थ्य के लिये इस तरह से करें लौकी का प्रयोग:

स्वास्थ्य के लिये लौकी गर्मियों में फायदेमंद होता है। हफ्ते में 2-3 बार लौकी के जूस का जूस पीना चाहिए, इससे हृदय स्वास्थ्य और रक्तचाप कंट्रोल किया जा सकता है। लौकी में पाया जाने वाला फाइबर मोटापे का कंट्रोल करता है। लौकी आयरन, विटामिन और पोटेशियम से भरपूर होता है। लौकी के सेवन से पाचन क्रिया मजबूत होती है।

खीरे की खेती किस माह में करें:

खीरा गर्म जलवायु का पौधा है। यह अधिक ठंड एवं पाला सहन नहीं कर सकता है। खीरे की बुवाई का सही समय मार्च से अप्रैल का महीना बेहतर होता है। यह दोमट या बलुई मिट्टी में बेहतर उत्पादन देता है। 18-24 डिग्री सेल्सियस तापमान बेलों की बढ़वार एवं उपज के लिए उत्तम रहता है। गर्मियों में 4-5 के अंतराल में सिंचाई करें। खीरे की अधिक पैदावार के लिए जल निकास का उचित प्रबंध होना चाहिए। जैविक खाद, पोटाश और नाइट्रोजन का संतुलित उपयोग करें। खीरा के तुड़ाई का समय, बुवाई के 40-45 दिन बाद पहली तुड़ाई की जा सकती है। इससे किसान प्रति हेक्टेयर 150-200 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

खीरे की उन्नत किस्में:

खीरे की स्वर्ण पूर्णिमा किस्म: खीरे की स्वर्ण पूर्णिमा किस्म के फल लंबे, सीधे, हल्के हरे और ठोस होते हैं। खीरे की यह किस्म कम समय में तैयार हो जाती है। इसकी बुवाई के करीब 40 से 45 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है। किसान इसके फलों की तुड़ाई कर सकते हैं। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 200 से 230 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

पंत संकर खीरा- 1 किस्म: खीरे की यह एक संकर किस्म है। इसके फलों की लंबाई 20 सेंटीमीटर की होती है ओर इसका रंग हरा होता है। यह किस्म बुवाई के करीब 45-50 दिन बाद ही तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। खीरे की इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 300 से 330 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

खीरा की जुताई-बुवाई कैसे करें: खेत की जुताई दो-तीन बार करके मिट्टी को भुरभुरा बना चाहिए। इसके लिये तैयार खेत में 1.5 से 2 मीटर की दूरी पर 25-30 से.मी. चौड़ी नालियां बनाएं और नालियों के दोनों किनारों पर 55 से.मी. की दूरी पर थाला बनाकर बीज की बुवाई करें। एक थाला में 2-3 बीज की बुवाई करें। बीज जमने पर प्रत्येक थाले में एक पौधे को छोड़कर बाकी पौधे निकाल लेते हैं।

पोषक तत्व प्रबंधन: खाद एवं उर्वरक का उपयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करें। खेत में 20-25 टन गोबर कम्पोस्ट बुवाई से एक माह पूर्व प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिला देना चाहिए। इसके अतिरिक्त तत्व के रूप में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डालते हैं। नाईट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय थाले में डालना चाहिए। बचे हुए नाईट्रोजन की मात्रा बुवाई 35 दिन बाद बराबर-बराबर पौधें की जड़ो के पास थाले में देना चाहिए। 

गर्मियों में खीरा खाने के फायदे: गर्मियों के मौसम में खीरा सेहत के लिये बहुत जरूरी और फायदेमंद होता है। खीरे में विटामिन्स,मैग्नीशियम,पोटेशियम,मैंग्नीज और कापर जैसे पोषक तत्व पाये जाते हैं। खीरा शरीर को हाइड्रेटेड रखने के साथ आंखों की रोशनी बढाने में मदद करता है। खीरे में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिससे शरीर की पाचन क्षमता मजबूत होती है।

कृषि विशेषज्ञों की सलाह: गर्मी में खेती के लिए मल्चिंग तकनीक अपनाएं ताकि नमी बनी रहे। ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का उपयोग करें, जिससे पानी की बचत होगी और उत्पादन बेहतर होगा। उन्नत किस्मों के बीज चुनें ताकि अधिक उपज मिले और फसल रोगों से बची रहे।

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