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हर साल देश के कई राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं होती हैं, जो दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का एक प्रमुख कारण मानी जाती हैं। हालांकि, दिल्ली में प्रदूषण का स्तर हमेशा एक जैसा नहीं बढ़ता; यह घटनाओं की संख्या के साथ-साथ मौसम की परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है। इस साल 1 नवंबर को पराली जलाने से दिल्ली के PM 2.5 प्रदूषण स्तर में 35.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो सीजन का सबसे ऊंचा स्तर है। विशेषज्ञों का कहना है कि पराली के धुएं का असर हवा की दिशा और गति पर निर्भर करता है, जिससे एक ही दिन में PM 2.5 में काफी बढ़ोतरी हो सकती है। पराली जलाने से उत्पन्न धुआं शहर की हवा में शामिल होकर प्रदूषण बढ़ा देता है।
इन दिनों न केवल दिल्ली बल्कि उत्तर भारत के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) चिंता का कारण बना हुआ है। हर दिन प्रदूषण के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन गई है। हालांकि, 9 नवंबर को कुछ शहरों के AQI में थोड़ी गिरावट आई, लेकिन दिल्ली अब भी सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, 9 नवंबर को कई शहरों में औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खराब स्तर पर पहुंच गया।
शहर | AQI स्तर |
दिल्ली | 352 |
बद्दी | 344 |
मंडीदीप | 343 |
चंडीगढ़ | 332 |
बहादुरगढ़ | 305 |
सिंगरौली | 299 |
हापुड़ | 289 |
हनुमानगढ़ | 285 |
भिवाड़ी और ग्रेटर नोएडा | 281 |
मानेसर | 280 |
बागपत और बीकानेर | 277 |
जींद | 276 |
भोपाल | 275 |
अमृतसर | 267 |
देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम का मिजाज अलग-अलग बना हुआ है। पहाड़ी इलाकों में ठंड की शुरुआत हो गई है, और मौसम विभाग ने वहां हल्की बारिश का अलर्ट जारी किया है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में सुबह और शाम को हल्की ठंड महसूस की जा रही है, जबकि दिन में तापमान सामान्य है। दिल्ली-एनसीआर के लोग ठंड का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में अब भी बारिश हो रही है, और आज भी कुछ इलाकों में बारिश का अलर्ट है।
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