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इालायची भारत ही नहीं पूरी दुनिया में सर्वाधिक लोकप्रिय है। भारत में इलायची की खेती नकदी फसल के रूप में की जाती है। यह एक दानेदार छोटी तथा बाहर की पत्तियां हरी होती है जिसकी सुगंध स्वाद में चार चांद लगा देती है। इसकी खेती के लिये 1500-4000 मिमी वर्षा की आवष्यकता होती है। इलायची की खेती के लिये 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। इलायची को मसाले के रूप में इसकी खेती बड़े स्तर पर की जाती है। भारत का स्थान चीन के बाद इलायची उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है। इसकी मांग बाजारों में बहुत अधिक रहती है जो शादी-बारातों से लेकर छोटे कार्यक्रम में इलायची का उपयोग किया जाता है। इलायची की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
भारत में इसकी खेती जम्मू कश्मीर मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश में होती है किंतु अब इसकी मांग अधिक होने से इसकी खेती झारखंड उड़ीसा बिहार हरियाणा उत्तरांचल पंजाब असम त्रिपुरा और पष्चिमी बंगाल में की जाती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार इलायची की खेती भारत में 2021-22 के दौरान सबसे ज्यादा केरल में हुआ है। केरल राज्य सालाना 15.54 हजार टन उत्पादन दे रहा है। इसके बाद कर्नाटक और तमिलनाडु में बहुतायत की जाती है।
इलायची की खेती के लिये अच्छी जल निकासी वाली लाल दोमट मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त होती है। इसके लिये भूमिका पी.एच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इसकी खेती के लिये उष्णकटिबंधीय जलवायु तथा 10-35 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवष्यकता होती है।
इलायची का पौधा कैसे लगायें: इलायची का पौधा लगाने के लिये नर्सरी में उगाये पौधों को क्यारियों में लगायें। पहले एक गमले या कंटेनर में 40 प्रतिशत कोकोपीट की खाद (नारियल की भूसी की खाद) इसके साथ 40 प्रतिशत वर्मीकंपोस्ट खाद और 20 प्रतिशत बालू का इस्तेमाल करें फिर इन खादों को मिट्टी में मिलाकर पाटिंग करें। लगभग 2 या 2 इंच का गढ्ढा खोदकर बीज को गढ़्ढे में डाल दें। पौधों की रोपाई 20X20 की दूरी पर करें और गढ्ढे को मिट्टी से ढक दें। जब मिट्टी सूख जाए तब गमले में पानी डालें। इलायची के पौधे को कटिंग विधि के द्वारा भी आसानी से लागाया जा सकता है।
इलायची की प्रमुख वेरायटी:
हरी इलायची: हरी इलायची दुनिया में सबसे लोकप्रिय और अत्यधिक बेशकीमती मसालों में से एक है। यह अपनी तेज़ मीठी और फूलों की सुगंध के लिए जाना जाता है। इसे अलटेरिया के नाम से भी जाना जाता है। हरी इलायची की फलियाँ छोटी और हरे रंग की होती है।
काली इलाइची: काली इलायची जिसे पहाड़ी इलायची भी कहा जाता है। इसे नेपाल भूटान और भारत के कुछ हिस्सों सहित पूर्वी हिमालय क्षेत्र में उगाया जाता है। काली इलायची एक बारहमासी जड़ी-बूटी वाले पौधे का फल है जो अदरक परिवार से संबंधित है। इसमे पाचन और श्वसन स्वास्थ्य में सुधार होता है। काली इलायची हरी इलायची की तुलना में अधिक तीखी और कम मीठी होती है।
नेपाली इलायची: नेपाली इलायची जिसे नेपाल या हिमालयन इलायची के नाम से भी जाना जाता है। यह किस्म मुख्य रूप से नेपाल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसका स्वाद अनोखा होता है जो चाय करी और चावल के व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। इसके पौधे को ठंडी और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
खाद एवं उर्वरक: इलायची फसल की रोपाई से पहले 10 टन प्रति एकड़ गोबर की खाद या कंपोस्ट का उपयोग करें। फसल की अधिक उत्पादन के लिये लगभग 25-30 किलोग्राम नाइट्रोजन 25-30 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50-60 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड के हिसाब से डालना चाहिए। यह उर्वरक जून-जुलाई में खेत में डालें। खाद डालते समय ध्यान रहे कि खेत में नमी की मात्रा हो और दूसरी बार अक्टूबर या नवंबर के माह में खाद डालें।
इलायची की खेती करने का सही समय: इलायची का पौधा बारिश के मौसम में अच्छी तरह उगता है। जून-जुलाई माह में इलायची की खेती के लिये सबसे अच्छा समय होता है। इसके पौधे को लगाने के लिये हमेशा छायादार जगह में ही लगाना चाहिए। कम सूर्य के प्रकाश और कम गर्मी में इसकी उपज अधिक होती है।
इलायची की फसल में सिंचाई की व्यवस्था: इलायची के पौधे में बारिश के मौसम में सिंचाई की जरूरत कम होती है। इसकी पहली सिंचाई पौध रोपण के तुरंत बाद करना चाहिए। गर्मी के मौसम में 4-5 दिन में अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था होती चाहिए। आवष्यकतानुसार 10-15 दिन में सिंचाई करते रहें।
इलायची के पौधे की देखभाल कैसे करें: पौधे में पर्याप्त मात्रा में पानी डालें जिससे नमी बनी रहे और जलभराव की स्थिति न होने दें साथ ही सूर्य की हल्की रोशनी पडती रहे। जब इलायची का पौधा 4-5 इंच तक बढ़ जाता है तब एक बड़े कंटेनर में पौधे को ट्रांसप्लांट करें। जैसे-जैसे इलायची के पौधे विकसित होते हैं तो छंटाई करते रहें।
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इलायची का औषधीय महत्व: इलायची तीक्ष्ण गंध वाली जिसका उपयोग कई सारे रोगों के उपचार में किया जाता है। इलायची का अत्यधिक औषधीय महत्व है। विभिन्न प्रकार के पकवानों में सुंगधित करने के लिये किया जाता है। आयुर्वेद में इसका उपयोग सर्दी खांसी पित्तजनक पथरी खुजली और हृदय रोग में किया जाता है। इसके अलावा यह कैंसर के खतरे को भी दूर रखती है।