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बजट के इस गरमा गर्मी के माहौल में केंद्र सरकार किसानों के लिए कुछ महत्वपूर्ण एलान करने की घोषणा कर सकती है। वहीं, किसानो को भी इस बजट से बहुत अपेक्षाएं हैं। आईये जानते है इस साल फरवरी माह में पेश किए गए अंतरिम बजट में किसानों के लिए क्या घोषणाएं की गईं थी।
आपको बता दें की लोकसभा चुनाव से पहले वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट पेश करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर जोर देते हुए किसान को अपना ‘अन्नदाता’ बताया था। इस अंतरिम बजट में वित्त मंत्री जी ने फसलों की कटाई के बाद होने वाली गतिविधियों में स्वयं और सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने का एलान किया था। इसके अतिरिक्त उन्होंने सभी कृषि और जलवायु क्षेत्रों में नैनो-डीएपी के इस्तेमाल के विस्तार की बात बात बतलाई थी। इस दौरान तिलहनों के लिए 'आत्मनिर्भर तिलहन अभियान' को शुरू करने का एलान किया था। वित्त मंत्री ने दुग्ध और डेयरी सम्बंधित विकास के लिए बड़े कार्यक्रम बनाने की बात भी की थी। इसके साथ ही जलीय कृषि सम्बंधित उत्पादकता को बढ़ाने, निर्यात को दोगुना करने और अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए पीएम मत्स्य सम्पदा योजना के कार्य को आगे बढ़ाने और मत्स्य पालन के क्षेत्र में पांच एकीकृत एक्वा पार्क स्थापित करने का भी एलान किया था।
अगर हम केंद्र सरकार के पिछले बजट की बात करें, जोकि लगभग 48 लाख करोड़ रुपये का था। इसमें पूरे देश के किसानों के लिए केवल 1.25 लाख करोड़ रुपये के करीब खर्च किए गए थे। इसमें से भी करीबन 65 हजार करोड़ रुपये पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए दिए गए है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट से पहले कृषि विशेषज्ञों, किसानों के प्रतिनिधियों और कृषि विभाग से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान उनके सुझाव लिए। किसानों की बजट से अपेक्षाओं के बारे में बात करते हुए कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकारों का पूरा ध्यान बाजारों और बड़ी कंपनियों के विकास की ओर केंद्रित रहता है। उन्होंने कहा कि अब ज़रूरी यह है की न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध कराकर किसानों को बड़ी मदद दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा है की, केंद्र सरकार का ध्यान पूरी कृषि को मजबूती देने की ओर होना चाहिए। हर वस्तु का मूल्य बढ़ रहा है। इसी क्रम में किसानों के लिए फसल उत्पादन की कीमत इतनी अधिक बढ़ गई है कि अब कृषि अब किसानो के लिए एक घाटे का सौदा बनती जा रही है। इससे देश का किसान लगातार कर्ज तले डूब रहा है।
विशेषज्ञों की माने तो, स्वामीनाथन फॉर्मूले के अनुसार हर किसान को MSP की कानूनी गारंटी से बांधना चाहिए, जिससे कृषि को आर्थिक तौर पर लाभ मिल सके।
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