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Mahakumbh 2025: इस महाकुंभ किन्नर सन्यासियों के दांत से कटे सिक्के लेना ना भूले, होगी लक्ष्मी की असीम कृपा, नहीं होगी धन-दौलत की कमी

कुंभ मेले में किन्नर सन्यासियों से मिले सिक्के
कुंभ मेले में किन्नर सन्यासियों से मिले सिक्के

महाकुंभ 2025 का आयोजन नजदीक है और इस धार्मिक मेले की तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में से एक महाकुंभ हिंदु आस्था औऱ संस्कृति का सबसे बड़ा केंद्र है। मेले में शामिल होने के लिए विभिन्न साधु-सन्यासी औऱ अखाड़े आते है। इन सभी की अपनी अलग महत्वता है। इन्हीं में से एक है किन्नर सन्यासियों के दांत से कटे सिक्के का महत्व।  

किन्नर के दांत से कटे सिक्के की कहानी और महत्व Story and significance of the coin cut from the eunuch's tooth:

कहा जाता है कि महाकुंभ में किन्नर सन्यासियों के द्वारा दांत से काटकर दिए गए सिक्के को प्राप्त करना लक्ष्मी माता का आशीर्वाद पाने जैसा है। यह मान्यता है कि इन सिक्कों को घर में रखने से धन और समृद्धि की कमी नहीं होती। किन्नर समुदाय को विशेष आध्यात्मिक शक्तियों का प्रतीक माना जाता है और उनकी ओर से मिला हुआ सिक्का सौभाग्य और सुख-शांति लाने वाला होता है।  

यह सिक्का पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। खासकर व्यापारी वर्ग के लोग इसे अपने व्यवसाय में तरक्की और आर्थिक स्थिरता का संकेत मानते हैं। इस सिक्के को घर के पूजा स्थल पर रखकर लक्ष्मी माता की आराधना की जाती है ताकि उनका आशीर्वाद सदैव बना रहे।

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कैसे प्राप्त करें यह सिक्का How to get this coin?

महाकुंभ के दौरान किन्नर सन्यासियों के अखाड़ों में जाकर श्रद्धा के साथ उनसे सिक्का मांगा जा सकता है। किन्नर सन्यासी अपनी ओर से इसे उन्हीं को प्रदान करते हैं जो पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ उनसे संपर्क करते हैं। 
महाकुंभ 2025 में अगर आप इस अद्वितीय अनुभव का हिस्सा बनते हैं, तो इसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानें। किन्नर सन्यासियों का आशीर्वाद और दांत से काटा हुआ सिक्का पाकर अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भरने का अवसर न छोड़े।  

महाकुंभ सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है। इस बार इस परंपरा का हिस्सा बनकर इसे और खास बनाएं। लाखों विदेशी सैलानियों के साथ आप भी इस महापर्व का हिस्सा जरुर बनें।

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