जलवायु-संवेदनशील और जैविक कृषि की महत्वता को बढाते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने एस्टोनिया की क्षेत्रीय मामलों और कृषि मंत्री से मुलाकात की, जिसमें कृषि निर्यात को बढ़ाने पर जोर दिया गया और 'कैच द रेन' जैसे जल संचयन अभियानों के साथ बेहतर सिंचाई समाधान पर चर्चा की।
किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने एस्टोनियाई मंत्री का स्वागत करते हुए भारत सरकार की कृषि क्षेत्र की प्रमुख प्राथमिकताओं पर विस्तार से चर्चा की। इनमें खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, किसानों को बेहतर सेवा देने के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ उठाना, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना और बागवानी उत्पादों में मूल्य संवर्धन करना शामिल था। उन्होंने जलवायु-संवेदनशील और जैविक कृषि के महत्व को भी बताया, साथ ही कृषि निर्यात को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा छोटे किसानों का समर्थन करने के लिए देश की कृषि व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही किसान उत्पादक संगठन (FPOs), संविदा कृषि, फसल विविधीकरण और पशुपालन, मत्स्य पालन सहित अन्य कृषि क्षेत्रों में विविधीकरण जैसी पहलों पर भी चर्चा हुई। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार की नीतियां, जिसमें बेहतर बीजों का प्रचार, जल उपयोग दक्षता, टिकाऊ मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन और पारंपरिक प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का उपयोग शामिल है। जल संचयन अभियानों जैसे 'कैच द रेन' और जलाशयों एवं तालाबों के रख-रखाव के लिए सुधारित सिंचाई समाधान करने की बात कही गई।
एस्टोनिया की जैविक कृषि, खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ कृषि प्रथाओं में उन्होंने जल अनुकूलन और सटीक कृषि की विशेषज्ञता को बढावा देते हुए कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्धन, खाद्य प्रसंस्करण, और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए तकनीकी समाधान लागू करने पर भारत के साथ सहयोग की इच्छा व्यक्त की।
दोनों देशों के बीच कृषि-तकनीकी पर सहयोग: इसके अलावा दोनों देशों के बीच कृषि-तकनीकी स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र में पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी की संभावनाओं पर जोर दिया। दोनों देशों ने कृषि क्षेत्रों में टिकाऊ कृषि प्रथाओं, प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान, और क्षमता निर्माण पहलों के माध्यम से सहयोग के अवसरों को और अधिक बढाने पर गहरी रुचि व्यक्त की।
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