• होम
  • Natural farming: उत्तर प्रदेश में गोवंश से बढ़ेगी प्राकृतिक...

Natural farming: उत्तर प्रदेश में गोवंश से बढ़ेगी प्राकृतिक खेती, पशुपालकों की आय में होगा इजाफा

प्राकृतिक खेती और गोपालन
प्राकृतिक खेती और गोपालन

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य को प्राकृतिक खेती का हब बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को नई तकनीक और संसाधनों से जोड़कर उनकी आय बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है।

निराश्रित गोवंश का अहम योगदान Important contribution of destitute cattle:

प्राकृतिक खेती की नींव में गोवंश की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। निराश्रित गोवंश से गोबर और गौमूत्र का उपयोग कर किसानों को रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करनी होगी। इससे खेती की लागत घटेगी और उपज के दाम बढ़ेंगे। साथ ही जमीन, जल और पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार होगा। कोरोना महामारी के बाद दुनियाभर में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। प्राकृतिक कृषि उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ने से किसानों को बेहतर कीमत मिलने की संभावना है। इससे प्रदेश का कृषि निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।

प्राकृतिक खेती और निर्यात में वृद्धि:

प्रदेश का निर्यात पिछले सात वर्षों में दोगुना हो गया है। 2017-2018 में जहां यह 88 हजार करोड़ रुपये था, वहीं 2023-2024 में यह बढ़कर 170 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ने से अन्नदाताओं की आय में वृद्धि होगी और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

गोवंश संरक्षण के लिए योगी सरकार की पहल:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल से ही गोवंश संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। निराश्रित गोवंश के लिए गोआश्रय केंद्र स्थापित किए गए और उनके भरण-पोषण के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है। हाल ही में पेश किए गए अनुपूरक बजट में गोवंश के संरक्षण के लिए 1001 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
सरकार का उद्देश्य गोआश्रयों को आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद और बायोगैस उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। मिनी नंदिनी योजना के तहत पशुपालकों को कैटल शेड, पशु बाड़ा और बायोगैस प्लांट लगाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है।

गंगा तटवर्ती क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती का विस्तार: योगी सरकार ने गंगा तटवर्ती इलाकों और बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती पर विशेष जोर दिया है। नमामि गंगे योजना के तहत गंगा किनारे के 3300 क्लस्टर्स में लगभग 6500 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती हो रही है। कुल मिलाकर प्रदेश के 10,000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें 18,000 से अधिक किसान जुड़े हैं।

गंगा के मैदानी इलाकों की उर्वरता को देखते हुए ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस क्षेत्र को जैविक खेती के लिए आरक्षित करने की सिफारिश की थी। प्राकृतिक खेती के जरिए इन क्षेत्रों को रसायनमुक्त बनाने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है।

पौधरोपण अभियान से गंगा का हरित विकास: गंगा के तटवर्ती इलाकों में पौधरोपण अभियान के तहत हरियाली बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती छह महीनों में गंगा किनारे 6759 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण का लक्ष्य रखा था। इस अभियान को और आगे बढ़ाते हुए 503 स्थानों का चयन किया गया है।

प्राकृतिक खेती किसानों और पर्यावरण के लिए फायदेमंद: प्राकृतिक खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में भी अहम योगदान देगी। इससे प्रदेश के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ेगी, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल उत्तर प्रदेश को प्राकृतिक खेती का आदर्श राज्य बनाने में सहायक होगी।

khetivyapar.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण जानकारी WhatsApp चैनल से जुड़ें