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एमपी के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक हुई जिसमें महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। बैठक में वर्तमान में संचालित 12,670 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों को पूर्ण आंगनवाड़ी केन्द्रों में उन्नत किया जाएगा। इस निर्णय के तहत प्रत्येक उन्नत केन्द्र पर एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और एक आंगनवाड़ी सहायिका की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही, प्रत्येक 25 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर एक पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाएगा, जिससे 476 पर्यवेक्षकों के पद स्वीकृत किए गए हैं। कुल मिलाकर 13,146 नवीन पदों का सृजन किया गया है, जिसमें आंगनवाड़ी सहायिकाओं के पद भी शामिल हैं।
प्रदेश में संचालित मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों को पूर्ण आंगनवाड़ी केन्द्रों में उन्नत किए जाने के बाद केंद्र सरकार से 3,401.90 लाख रुपये और राज्य सरकार से 17,945.82 लाख रुपये का योगदान होगा, जिससे कुल 21,347.71 लाख रुपये का अतिरिक्त वार्षिक व्यय भार राज्य पर पड़ेगा।
मंत्रि-परिषद ने लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत 454 स्वास्थ्य संस्थाओं में 6,388 नए पदों (5,936 नियमित और 452 संविदा) के सृजन की मंजूरी दी है। इसके अलावा, 1,589 पद आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से भरे जाएंगे। नए पदों के सृजन से होने वाले वार्षिक व्यय का अनुमान 351 करोड़ 17 लाख रुपये है, जिसे मंजूरी दी गई है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा मई 2023 में मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों को पूर्ण आंगनवाड़ी केन्द्रों में उन्नत करने का निर्णय लिया गया था। मंत्री सुश्री भूरिया ने बताया कि यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि 6 वर्ष तक के बच्चों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए शाला पूर्व शिक्षा और कुपोषण निवारण के कार्यों के क्रियान्वयन के लिए अधिक कार्यबल की आवश्यकता थी। इस फैसले से प्रदेश के 12,000 से अधिक लोगों को नौकरी मिलने का रास्ता खुल गया है, जो राज्य के लिए एक बड़ा अवसर है।