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Dhanteras and Diwali 2024: धनतेरस और दीवाली शुभ और लाभ व परस्पर खुशी का त्यौहार, जाने कब है शुभ मुहूर्त

धनतेरस और दीवाली पर जाने शुभ मुहूर्त
धनतेरस और दीवाली पर जाने शुभ मुहूर्त

धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। दिवाली के त्यौहार के दौरान धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से प्रकट हुई थीं। इसलिए, धनत्रयोदशी के शुभ दिन पर देवी लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। हालांकि, धनतेरस के दो दिन बाद अमावस्या को लक्ष्मी पूजा को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
हिंदू धर्म में दीवाली का पर्व प्रमुख त्यौहारों में से एक है। दीवाली विशेष रूप से भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे।

धनतेरस 2024 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष, त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जायेगा। 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ होगी और समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।

धनतेरस का पूजा मुहूर्त 2024

धनतेरस या धनत्रयोदशी पर लक्ष्मी पूजा दोष काल में किया जाना चाहिए, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है। धनतेरस का पूजा मुहूर्त शाम 06 बजकर 31 बजे से रात 08 बजकर 13 बजे तक और प्रदोष काल - शाम 05 बजकर 38 बजे से रात 08 बजकर 13 बजे तक रहेगा। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्न प्रचलित होता है। यदि धनतेरस पूजा स्थिर लग्न में की जाती है, तो लक्ष्मीजी आपके घर में स्थायी रूप से निवास करेंगी। इसलिए यह समय धनतेरस पूजन के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। 

कब मनाई जायेगी दीवाली 2024?

कार्तिक अमावस्या के दिन दीवाली मनाई जाएगी। इस साल दीपावली का त्यौहार 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जायेगा। धर्मशास्त्रों के अनुसार 1 नवंबर को प्रदोष काल में कुछ ही समय के लिये अमावस्या तिथि रहेगी। 31 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या के चलते दीपावली इसी दिन है।

दीवाली या लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 2024

दीपावली पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 36 बजे से शाम 06 बजकर 16 बजे तक और प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 बजे से रात 08 बजकर 11 बजे तक रहेगा।

लक्ष्मी पूजा व दीपावली पूजा 2024

दीपावली के दिन लोगों को सुबह उठकर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए और परिवार के देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इस दिन देवी लक्ष्मी के भक्त लक्ष्मी पूजा का उपवास रखते हैं, जिसे शाम को लक्ष्मी पूजा के बाद तोड़ा जाता है।

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लक्ष्मी पूजा करने की विधि

अधिकांश हिंदू परिवार लक्ष्मी पूजा के दिन अपने घरों और कार्यालयों को गेंदा के फूलों और अशोक आम और केले की पत्तियों से सजाते हैं। घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर बिना छिलके वाले नारियल के साथ मंगल कलश रखना शुभ माना जाता है। लक्ष्मी पूजा की तैयारियों के लिए एक ऊँची मेज पर दाहिनी ओर एक लाल कपड़ा बिछाना चाहिए और उसके ऊपर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियों को रेशमी कपड़ों और आभूषणों से सजा कर स्थापित करना चाहिए। इसके बाद बायीं ओर एक सफेद कपड़ा बिछाना चाहिए, जिस पर नवग्रह भगवान को स्थापित किया जाएगा। नवग्रह के लिए सफेद कपड़े पर अक्षत (अविभाजित चावल) के नौ स्थान और लाल कपड़े पर गेहूँ या गेहूँ के आटे के सोलह स्थान तैयार करने चाहिए।

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