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धौलपुर: शहर में हाइवे किनारे स्थित कृषि उपज मंडी में इस बार गेहूं की सरकारी खरीद निराशाजनक रही है। डेढ़ महीने बाद भी एक भी दाना सरकारी कांटे पर नहीं तौला जा सका है। इसका कारण यह है कि किसान मंडी भाव में मिलने वाले बेहतर दामों के चलते अपनी फसल को आढ़तियों को बेच रहे हैं। इससे धौलपुर में सरकारी गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा होना मुश्किल लग रहा है। किसानों का रुझान मंडी की ओर है, जहां उन्हें बेहतर दाम और तुरंत भुगतान मिल रहा है।
मंडी में गेहूं का भाव 2300 से 2400 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि सरकार 2300 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य और 125 रुपए का बोनस दे रही है। इस मामूली अंतर के चलते किसान नगद भुगतान और तुरंत तुलाई जैसी सुविधाओं के लिए मंडी का रुख कर रहे हैं। मंडी में प्रतिदिन 1000 से 1200 क्विंटल गेहूं की आवक हो रही है।
केवल एक किसान ने गेहूं बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन वह भी फसल बेचने नहीं आया। सरसों और चना की भी सरकारी खरीद में कम रुझान है। सरसों के लिए 2036 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन केवल 45% (930 किसान) ही बिक्री करने पहुंचे हैं। सतेन्द्र सिंह मीना, उप रजिस्ट्रार, सहकारी समिति धौलपुर का कहना है कि वे किसानों से लगातार संपर्क कर रहे हैं। गर्मी के कारण किसान धीरे-धीरे पहुंच रहे हैं।