भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। देश में लगभग 232 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दलहनी फसलों की खेती होती है, जिसमें अरहर एक प्रमुख फसल है। हालांकि, यह फसल कई प्रकार के कीटों और रोगों से प्रभावित होती है, जिससे उत्पादन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसे में किसानों को अरहर फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों और रोगों की पहचान कर उनके प्रभावी नियंत्रण के लिए उचित प्रबंधन तकनीकों को अपनाना चाहिए।
1. लीफ फोल्डर कीट:
नियंत्रण:
जैविक नियंत्रण के लिए 5 मिलीलीटर नीम तेल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
25 किलो नीम की पत्तियों को पीसकर 50 लीटर पानी में उबालकर अर्क तैयार करें और इसका छिड़काव करें।
नियंत्रण:
फेरोमोन ट्रैप लगाएं (30 मीटर की दूरी पर)।
जैविक नियंत्रण के लिए 5% नीम बीज पाउडर घोल और 1% साबुन घोल का छिड़काव करें।
3. फल मक्खी कीट:
नियंत्रण:
अंडे दिखने पर 2% नीम तेल घोल का छिड़काव करें।
अरहर में लगने वाले प्रमुख रोग और उनके उपचार
1. फ्यूजेरियम विल्ट (मुरझाने का रोग): पत्तियां पीली पड़कर मुरझाने लगती हैं। तना सूख जाता है और जड़ें सड़ने लगती हैं।
नियंत्रण: गर्मी में गहरी जुताई करें। बुआई से पहले बीज उपचार करें।
2. अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट: पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बनते हैं। पौधों की पत्तियां झड़ने लगती हैं।
नियंत्रण: कार्बेन्डाजिम फफूंदनाशी का छिड़काव करें। रोग-रोधी किस्मों का चयन करें।
3. पाउडर फफूंदी रोग: पत्तियों, तनों और फलियों पर सफेद पाउडर जैसा पदार्थ दिखता है।
नियंत्रण: सल्फर पाउडर का छिड़काव करें।
अरहर की फसल की सामान्य देखभाल:
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