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धान की खेती देश की मुख्य फसलों में से एक है, धान खरीफ की फसल है जो मानसून में की जाती है। देश में इन दिनों खरीफ सीजन की फसल धान की रोपाई की जा रही है। इससे पहले किसानों को खेत की मिट्टी का उपचार कर लेना चाहिए जिससे फसलों में लगने वाले कीट और दीमक से होने वाले नुकसान से फसल को बचाया जा सके।
किसान धान की रोपाई बडे पैमाने पर करते हैं। धान की अधिक उपज पाने के लिये किसानों को बुवाई शुरू करने से पहले मिट्टी में मौजूद कीट जड़ों को तथा ढठंलों को उखाडकर खेत से बाहर कर देना चाहिए। धान की फसल में लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए क्योंकि धान की फसल में पानी की अधिक आवश्यकता होती है। साथ ही किसानों को धान की रोपाई करने से पहले खेत की मिट्टी का उपचार करना चाहिए, इससे फसल की गुणवक्ता और उपज को सुरक्षित रखा जा सकता है।
धान की रोपाई से पहले किसानों को फसल में कीट एवं रोग की रोकथाम के लिए जुताई के दौरान प्रति हेक्टेयर करीब 5 किलोग्राम ब्यूवेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोप्ली को गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर डालना चाहिए। फिर खेत की अच्छी से जुताई करनी करके पाटा लगाकर समतल कर देना चाहिए। इसके बाद खेत में पानी भरकर धान की रोपाई करना चाहिए।
इस प्रकार से करें धान की खेती: धान की खेती के लिए समतल और उपजाऊ भूमि को उपयुक्त माना जाता है। धान की खेती के लिए जल की अधिक आवश्यकता होती है। धान की रोपाई से पहले इसके बीजों को नर्सरी में बोयें और बुवाई के 25 से 30 दिनों के बाद पौधे की रोपाई की जाती है। इसकी फसल में नियमित सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और संतुलित उर्वरक का उपयोग काफी जरूरी होता है। किसान इसकी फसल को कीट और रोग से बचाने के लिए जैविक और रासायनिक विधियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। धान की रोपाई के 100 से 130 दिनों बाद फसल की कटाई की जाती है और दराई के बाद दानों को अलग करके सुखाया जाता है। इसके बाद चावल को नमी और कीटों से बचाने के लिये किसान किसी सूखे और साफ स्थान भण्डारण कर सकते हैं।