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खाद्य सुरक्षा और जलवायु अनुकूल खेती के लिए डॉ. जाट की नई भूमिका

डॉ. जाट की नई पहल
डॉ. जाट की नई पहल

प्रख्यात कृषि विज्ञानी डॉ. मांगीलाल जाट ने 21 अप्रैल को कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया। इससे पूर्व वे हैदराबाद स्थित अंतरराष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) में डिप्टी डायरेक्टर जनरल (अनुसंधान) और वैश्विक अनुसंधान कार्यक्रम के निदेशक के रूप में कार्यरत थे।

25 सालों से अधिक का अनुभव रखने वाले डॉ. जाट सतत कृषि, जलवायु अनुकूल खेती और संरक्षण कृषि के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक सम्मानित नाम हैं। उनके नेतृत्व में आईसीएआर में नवाचार, टिकाऊ कृषि तकनीकों और किसान-केंद्रित अनुसंधान को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। 

उन्होंने नई दिल्ली स्थित आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) से एग्रोनॉमी में पीएच.डी. की है, जिसमें उनका शोध विषय वर्षा आधारित बाजरे की खेती में मिट्टी में नमी संरक्षण रहा है, जो कि शुष्क क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने एशिया और अफ्रीका के छोटे किसानों के लिए सस्टेनेबल इंटेंसिफिकेशन रणनीतियों को आकार दिया है और वैश्विक खाद्य प्रणाली की स्थिरता को मजबूत किया है।

डॉ. जाट ने 350 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और उन्होंने ICRISAT, CIMMYT (अंतरराष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र), IRRI (अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान) जैसे संस्थानों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है। साथ ही उन्होंने जलवायु-स्मार्ट कृषि तकनीकों, पुनर्योजी खेती और डिजिटल इनोवेशन को बढ़ावा देकर दुनियाभर में कृषि नीतियों को प्रभावित किया है।

वे संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ प्रिसिजन एग्रीकल्चर (ISPA) सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी जुड़े रहे हैं। उन्हें नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (NAAS) का फेलो बनाया गया है और उन्हें रफी अहमद किदवई पुरस्कार जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मानों से भी नवाजा गया है। 

डॉ. जाट के नेतृत्व में आईसीएआर के माध्यम से भारत जलवायु परिवर्तन, मृदा क्षरण और खाद्य प्रणाली में परिवर्तन जैसी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने की दिशा में अग्रसर होगा। उनका दृष्टिकोण सतत विकास, सटीक खेती (Precision Farming) और पोषण सुरक्षा की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को सशक्त बनाएगा।

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