मूंग की फसल को बेहतर उत्पादन के लिए रोगों से सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मूंग की खेती में मूंग बीन पीला मोजेक, एन्थ्रेक्नोज, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, सरकोस्पोरा लीफ स्पॉट, पत्ती झुलसा, जड़ सड़न आदि प्रमुख रोग पाए जाते हैं, जिनके नियंत्रण के लिए उचित फफूंदनाशकों और कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए।
यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है। इसके प्रभाव से पत्तियों पर हल्के से गहरे पीले धब्बे बनते हैं और फूल व फलियों की संख्या घट जाती है।
नियंत्रण उपाय:
बीज उपचार: थायोमिथाक्जाम 30 एफएस @10 मि.ली. या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस @1.25 मि.ली. प्रति किग्रा बीज
रोगग्रस्त पौधों को नष्ट करें।
20-30 दिन की फसल पर थायोमिथाक्जाम 25 डब्ल्यूजी @125 ग्राम प्रति हेक्टेयर को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
एन्थ्रेक्नोज रोग: फफूंद से फैलने वाला यह रोग पत्तियों और फूलों पर काले-भूरे गोल धब्बों के रूप में दिखाई देता है।
नियंत्रण उपाय:
बीज उपचार: कार्बोक्सिन + थिरम @2 ग्राम प्रति किग्रा बीज
थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @650 ग्राम/हेक्टेयर छिड़कें।
यह बीज जनित रोग है जो पत्तियों पर सूखे, भूरे, उभरे हुए धब्बे बनाता है और तनों व फलियों को संक्रमित करता है।
नियंत्रण उपाय:
रोगमुक्त बीजों का उपयोग करें।
फसल अवशेष नष्ट करें।
बीज को स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 500 पीपीएम घोल में 30 मिनट भिगोएं।
छिड़काव: कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यूपी @500 ग्राम + स्ट्रेप्टोसाइक्लिन @15 ग्राम प्रति हेक्टेयर।
सरकोस्पोरा लीफ स्पॉट: इसमें पत्तियों, शाखाओं और फूलों पर छोटे भूरे-लाल धब्बे बनते हैं जिससे पत्तियाँ गिरने लगती हैं।
नियंत्रण उपाय:
थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @650 ग्राम या प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी @500 मि.ली./हेक्टेयर का छिड़काव करें।
मैक्रोफोमिना लीफ स्पॉट:
एक माह की फसल पर सफेद-भूरे धब्बे बनते हैं, पत्तियाँ मुरझा जाती हैं और पौधे छोटे रह जाते हैं।
नियंत्रण उपाय:
बीज उपचार: ट्राइकोडर्मा विरिडी + स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस @10 ग्राम प्रति किग्रा बीज।
थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @650 ग्राम/हेक्टेयर छिड़काव करें।
पत्ती झुलसा व जड़ सड़न रोग:
बीज, जड़ और पत्तियों में संक्रमण के कारण पौधे सूखने लगते हैं। नियंत्रण उपाय:
बीज उपचार करें।
ट्राइकोडर्मा विरिडी और स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस @2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर को 50 किग्रा गोबर खाद में मिलाकर छिड़कें।
रस्ट (गेरुआ) रोग:
पत्तियों, फलियों और तनों पर लाल-भूरे धब्बे बनते हैं। नियंत्रण उपाय:
पायरोक्लोस्ट्रोबिन @750 ग्राम/हेक्टेयर का छिड़काव करें।
पाउडरी मिल्ड्यू रोग:
फसल के सभी भागों पर सफेद पाउडर जैसे धब्बे बनते हैं।
नियंत्रण उपाय:
ट्राइडोमार्फ @500 मि.ली./हेक्टेयर घोल बनाकर छिड़कें।