चने की फसल इस समय 25 से 50 दिन की अवस्था में है। अत्यधिक ठंड और कोहरे के कारण चने की इल्ली, मसूर, प्याज और लहसुन में रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप देखा जा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इल्ली की निगरानी के लिए (फेरोमोन ट्रैप) का उपयोग करें। यदि प्रति रात प्रति ट्रैप 4-5 नर कीट दिखें या 1-1.5 इल्ली प्रति मीटर लंबी कतार में मिलें, तो तुरंत फसल संरक्षण के उपाय करें।
1. समय पर जुताई और बुवाई: हर साल गर्मियों में सामान्य जुताई करें और हर तीसरे साल गहरी जुताई करें। चने की बुवाई समय पर करें।
2.अन्तवर्तीय फसल: चने के साथ अलसी, सरसों और धनिया लगाएं।
3. सिंचाई और खाद: फसल में संतुलित मात्रा में सिंचाई और रासायनिक खाद का उपयोग करें। बुवाई के समय 20-25 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें।
यांत्रिक विधि:
1. पक्षियों की सहायता: खेत में कीटभक्षी पक्षियों (मैना, गौरैया, कौआ, काली मोर) को आकर्षित करने के लिए 'T' आकार की खूंटी प्रति हेक्टेयर 40-50 की संख्या में लगाएं।
2. फेरोमोन ट्रैप: चने की इल्ली नियंत्रण के लिए 12-15 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएं।
जैविक नियंत्रण: नीम की निंबोली के सत का घोल प्रभावी रूप से इल्ली को नियंत्रित करता है। एनपीवी (न्यूक्लियर पॉलीहेड्रोसिस वायरस) 250 एलई प्रति हेक्टेयर उपयोग करें। फफूंद आधारित ब्युबेरिया वैसियाना 1 किग्रा प्रति हेक्टेयर और जीवाणु आधारित बैसिलस थूरूजिएन्सिस (बीटी) 1 लीटर प्रति हेक्टेयर उपयोग करें।
1. छोटी इल्ली के लिए:
⦁ क्लोरपाइरीफोस 50 ईसी - 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर।
⦁ प्रोफेनोफॉस 50 ईसी - 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर।
2. बड़ी इल्ली के लिए:
⦁ इनडोक्साकार्ब 15.8 ईसी - 335 ग्राम प्रति हेक्टेयर।
⦁ इमामेक्टिन बेंजोएट 5 जी - 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर।
⦁ क्लोरेंट्रानिलीप्रोल 18.5 एससी - 150 मिली प्रति हेक्टेयर।
सभी उपायों का सही समय पर उपयोग करके चने की फसल को कीटों से बचाएं और उत्पादन में वृद्धि करें। जैविक और यांत्रिक तरीकों को प्राथमिकता दें और केवल आवश्यकता होने पर रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करें।
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