गर्मी का मौसम अपने चरम पर है और पूरे देश में लू का प्रकोप जारी है। इस भीषण गर्मी का असर सिर्फ़ इंसानों पर ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों और अन्य जीव-जंतुओं पर भी पड़ रहा है। खासकर दूध देने वाले पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता, आहार की मात्रा और व्यवहार में भी बदलाव देखा जा रहा है। इस स्थिति में पशुपालकों के लिए आवश्यक हो जाता है कि वे विशेष रूप से दूधारू पशुओं की देखभाल करें, ताकि दूध उत्पादन में अधिक गिरावट न हो। पशुपालन विभाग के उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएँ ने पशुपालकों को सलाह दी है कि गर्मी के मौसम में पशुओं को लू (ताप घात) से बचाने के लिए विशेष देखभाल की जाए। इसके लिए पशुओं में लू लगने के लक्षणों की पहचान कर उचित उपाय अपनाना आवश्यक है।
पशुओं को दिन के समय छायादार स्थान पर ही बांधें और धूप से बचाएं। पशुओं को पानी में थोड़ी मात्रा में नमक और आटा मिलाकर पिलाने से पशुओं को अधिक ऊर्जा मिलेगी और लू से बचाव में मदद मिलेगी। पशु को छायादार स्थान पर रखें और उसके शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करें। पशुओं को हल्के ठंडे पानी से भरे गड्ढे में कुछ समय के लिए रखें, ताकि शरीर का तापमान सामान्य हो सके। पशु को प्याज और पुदीने से बना अर्क पिलाना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह शरीर को ठंडक पहुंचाता है और लू के असर को कम करता है। पशुओं को बंद कमरे में न रखें, बल्कि अच्छी हवा वाले स्थान पर बांधें।
पशुओं के लिए पानी की उचित व्यवस्था: गर्मी के मौसम में पशुओं को भूख की तुलना में प्यास अधिक लगती है। इसलिए पशुपालकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पशुओं को पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ और ठंडा पानी मिले। पशुओं को दिन में कम से कम तीन बार पानी अवश्य पिलाएं। यदि पशु बीमार हों तो नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय से तुरंत संपर्क करें या 1962 टोल-फ्री नंबर पर कॉल कर उपचार प्राप्त करें।
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