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Madhya pradesh news: मध्यप्रदेश में उद्यानिकी फसलों की प्रोसेसिंग के लिए फूड प्रोसेसिंग यूनिट, मसाला फसलों का उत्पादन कर किसान बने आत्मनिर्भर

सिंचाई और बिजली से बढ़ा कृषि उत्पादन
सिंचाई और बिजली से बढ़ा कृषि उत्पादन

मध्यप्रदेश में एक जिला-एक उत्पाद के तहत उद्यानिकी फसलों की प्रोसेसिंग के लिए फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है। फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना जिला और संभाग स्तर पर हो जाने से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा।

सिंचाई और बिजली से बढ़ा कृषि उत्पादन Agricultural production increased through irrigation and electricity:

मंत्री ने बताया कि पिछले 20 वर्षों में प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार किया गया है और किसानों को सस्ती दर पर बिजली की आपूर्ति की जा रही है। इसका परिणाम है कि कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। किसान परंपरागत खेती से आगे बढ़कर नकदी फसलों (कैश क्रॉप्स) की ओर आकर्षित हो रहे हैं। प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि उद्यानिकी फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिल सके। इसके लिए फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना और मार्केटिंग को प्राथमिकता के साथ किया जाएगा।

मध्यप्रदेश में नागपुर की तर्ज पर संतरे की खेती Orange cultivation in Madhya Pradesh on the lines of Nagpur:

उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण मंत्री श्री कुशवाहा ने नागपुर में ऑर्गेनिक संतरे की फसल का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भी संतरे का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जा रहा है। संतरे की खेती को और बेहतर बनाने के लिए किसानों को नागपुर स्टडी टूर पर भेजा जाएगा, जिससे वे ऑर्गेनिक संतरे की उत्पादन प्रक्रिया को समझ सकें और उसे अपनाकर अपनी पैदावार में सुधार कर सकें।

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मसाला फसलों से आत्मनिर्भरता की ओर Towards self-reliance from spice crops:

मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाह ने बताया कि किसानों की मेहनत और लगन के कारण मध्यप्रदेश 54 लाख टन मसाला फसलों का उत्पादन कर देश में प्रथम स्थान पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि छोटे और मझोले किसानों को परंपरागत फसलों के साथ धनिया, हल्दी, मिर्च, अदरक, लहसुन और जीरा जैसी नकदी फसलें भी अपनानी चाहिए। ये फसलें अल्प समय में तैयार होती हैं और बाजार में इनका अच्छा मूल्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही, किसानों को फलोद्यान और फ्लोरीकल्चर (फूलों की खेती) को अपनाने की सलाह दी गई।

फसलों के संरक्षण से हाईटेक नर्सरियों तक: प्रदेश में हाईटेक नर्सरियों का विकास किया गया है। खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में फसलों के संरक्षण और भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस की स्थापना की जा रही है। साथ ही विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को अनुदान, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग दिया जा रहा है।

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