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केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्वास्थ्य, कृषि और सतत शहरों पर केंद्रित तीन एआई उत्कृष्टता केंद्रों (CoEs) की स्थापना की घोषणा की, जो वैश्विक समाधान प्रदाता के रूप में काम करेंगे। इन केंद्रों के विकास के लिए सरकार ने 990 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जिससे भारत की एआई के माध्यम से नवाचार, विकास और समाज पर प्रभाव डालने की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया गया है।
नई दिल्ली में उद्घाटन समारोह के दौरान, श्री प्रधान ने कहा कि ये एआई-CoEs सार्वजनिक हित में वैश्विक समाधान प्रदान करेंगे, साथ ही रोजगार और धन सृजन के नए अवसर पैदा करेंगे। उन्होंने इस पहल को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' के विज़न के साथ जोड़ते हुए, इसे भारत को एक वैश्विक एआई हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
श्री प्रधान ने यह भी बताया कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक पांच वर्षों के लिए इन केंद्रों के विकास के लिए 990 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। यह पहल 2023-24 के बजट में "मेक एआई इन इंडिया और मेक एआई वर्क फॉर इंडिया" के तहत निर्धारित व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा, कृषि और शहरी सतत विकास से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए अत्याधुनिक एआई समाधान तैयार करना है।
श्री प्रधान ने कहा कि ये एआई उत्कृष्टता केंद्र न केवल संस्थागत सफलता तक सीमित रहेंगे, बल्कि पूरे देश को लाभान्वित करेंगे और वैश्विक सार्वजनिक हित के नए प्रतिमान स्थापित करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की प्रतिभा और उत्साह के साथ ये केंद्र वैश्विक सार्वजनिक नीति को आकार देने और विश्व की चुनौतियों के लिए एआई-प्रेरित समाधान प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
श्री संजय मूर्ति ने एआई-CoEs से मिलने वाले लाभों के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच अंतःविषय अनुसंधान और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। यह पहल न केवल भारत की एआई क्षमताओं को मजबूती प्रदान करेगी, बल्कि नए उद्यमों, नवाचारों और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा देगी, जिससे भारत को भविष्य में एक वैश्विक एआई शक्ति के रूप में स्थापित किया जा सकेगा।