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सरकार 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण हासिल करने का लक्ष्य, जाने कैसे होता है एथेनॉल का उत्पादन

एथेनॉल का उत्पादन
एथेनॉल का उत्पादन

सरकार 2025 तक 20 प्रतिशत और 2029-30 तक प्रतिशत ब्लेंडिंग का लक्ष्य पूरा करने की तैयारी में है। इसके साथ ही हेवी मशीनरी इंडस्ट्री से मशीन में भी इथेनॉल, फ्लेक्स फ्यूल पर चलने की व्यवस्था की बात कही गई है। भारत ने अपने ऊर्जा बुनियादी ढांचे का बडे पैमाने पर विस्तार किया है, और अब देशभर में कुल 81,529 PSU खुदरा आउटलेट्स की संख्या है। इन आउटलेट्स में से 13,569 अब एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) प्रदान करते हैं। देश में इथेनॉल उत्पादन क्षमता लगभग 1380 करोड़ लीटर है, जिसमें से लगभग 875 करोड़ लीटर मौलेसेस आधारित और लगभग 505 करोड़ लीटर अनाज आधारित है। वर्ष 2023-24 को ऊर्जा परिवर्तन के लिए भारत की जी20 प्रेसिडेंसी ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इसमें विश्व आर्थिक मंडल, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक सहित 12 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ 24 देशों को एकत्र करने का प्रयास है।

क्या होता है एथेनॉल What is ethanol?

एथेनॉल एक प्रकार का प्राकृतिक ईंधन है। इसे पेट्रोल के साथ मिलाकर वाहनों में ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। एथेनॉल का उपयोग प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाता है और जैव ईंधन को बनाने के लिए एथेनॉल को अक्सर गैसोलीन के साथ मिलाया जाता है। इसे एथिल अल्कोहल या अनाज अल्कोहल के रूप में भी जाना जाता है। एथेनॉल को रिन्यूएबल एनर्जी के रूप में देखा जाता है क्योंकि इसे मकई, गन्ना या सेल्युलोसिक बायोमास जैसी कृषि फसलों से तैयार किया जा सकता है। 

2025 तक 20% एथेनॉल मिश्रित का लक्ष्य रखा गया

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण को हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है और अप्रैल 2024 में एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल E20 को 81,529 कुल PSU खुदरा आउटलेट्स में से 13,569 आउटलेट्स पर पहले से ही उपलब्ध है। देश में E27 ईंधन और एथेनॉल मिश्रित डीजल ईंधन पर सफल अध्ययन भी हुए हैं। भारत सरकार देशभर में एथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रही है, जिसमें तेल विपणन कंपनियाँ (ओएमसीs) एथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल बेचती हैं। 2025 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने के लिए, लगभग 1016 करोड़ लीटर एथेनॉल की आवश्यकता है और अन्य उपयोगों के लिए एथेनॉल की कुल आवश्यकता 1350 करोड़ लीटर है। इसके लिए, 2025 तक प्लांट 80% दक्षता पर चलने को ध्यान में रखते हुए लगभग 1700 करोड़ लीटर की एथेनॉल उत्पादन क्षमता को स्थान पर होने की आवश्यकता है। देश में एथेनॉल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से, सरकार ने विभिन्न एथेनॉल हित सब्सिडी योजनाएँ अधिसूचित की हैं।

पेट्रोलियम मंत्री ने इथेनॉल के 100 ईंधन किए गए लॉन्च

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने क्रांतिकारी ऑटोमोटिव ईंधन 'इथेनॉल 100' लॉन्च कर दिया गया है। ग्राहक पांच राज्यों - महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और तमिलनाडु में चुनिंदा 183 रिटेल आउटलेट्स पर इथेनॉल 100 का लाभ उठा सकते हैं। इस अग्रणी ईंधन को लॉन्च करते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इथेनॉल 100 का लॉन्च भारत के प्रधानमंत्री के अन्नदाता को ऊर्जादाता में बदलने के दृष्टिकोण से प्रेरित है। इसे एक क्रांतिकारी ईंधन बताते हुए, मंत्री ने कहा कि इथेनॉल 100 ईंधन में हमारे परिवहन क्षेत्र को बदलने और जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को कम करने की क्षमता है।

इथेनॉल का उत्पादन कैसे होता है?

भारत में इथेनॉल का अधिकांश उत्पादन गन्ने से होता है या गुड़ आधारित होता है, जबकि शेष अनाज आधारित होता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2013-14 के दौरान 38 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हुआ, जो इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2021-22 में 10 गुना से अधिक बढ़कर 408 करोड़ लीटर हो गया। लगभग 11 प्रतिशत भारतीय खाद्य निगम से सरप्लस चावल का उपयोग करके, और शेष 5 प्रतिशत क्षतिग्रस्त अनाज से इथेनॉल का उत्पादन किया गया है। एथेनॉल मुख्य रूप से गन्ने के रस, भारी गुड़ से मुख्य तौर पर तैयार किया जाता है। इसके अलावा मक्के, गेहूं और जौ से भी तैयार होता है। एथेनॉल का उत्पादन हो जाने के बाद, इसे गैसोलीन यानी पेट्रोल-डीजल के साथ मिलकर जैव ईंधन बनाया जा सकता है। इसे E10 (10% एथेनॉल युक्त) या E85 (85% इथेनॉल युक्त) के रूप में जाना जाता है। फ्लेक्स फ्यूल तकनीक से लैस वाहन E85 पर चल सकते हैं।

इथेनॉल मिश्रण से किसानों की आय में वृद्धि

देश में आयात निर्भरता को कम करने, विदेशी मुद्रा के संरक्षण और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद से, E20 की उपलब्धता एक साल से भी कम समय में 12,000 आउटलेट तक बढ़ गई है और 2025-26 तक 20% इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब हैं। पिछले 10 वर्षों के दौरान इन इथेनॉल मिश्रण पहलों ने किसानों की आय में वृद्धि की है, ग्रामीण रोजगार में वृद्धि की है, 1.75 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर CO2 उत्सर्जन को कम किया है और इसके परिणामस्वरूप 85,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है।

2025-26 तक देश की पेट्रोल मांग 50.8 बिलियन लीटर

भारत में पेट्रोल की बढ़ती मांग को देखते हुए नीति आयोग, सार्वजनिक नीति पर सरकार की सर्वोच्च सलाहकार संस्था, 2025-26 तक देश की पेट्रोल मांग 50.8 बिलियन लीटर होने का अनुमान लगाती है। 2023 की रिपोर्ट में, दिल्ली स्थित कृषि थिंक-टैंक आर्कस पॉलिसी रिसर्च ने कहा कि तीन फसलों – गन्ना, मक्का और चावल से आवश्यक 10.16 बिलियन लीटर मिश्रित इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए – भारत को लगभग 275 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) गन्ना, 6.1 एमएमटी मक्का, और लगभग 5.5 एमएमटी चावल की आवश्यकता होगी।

इथेनॉल कम उत्सर्जन वाला स्वच्छ ईंधन

इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल से क्लीन एनर्जी की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप उत्सर्जन कम होगा। आंकड़ों के अनुसार, E10 दोपहिया वाहनों के साथ-साथ चार पहिया वाहन 20 प्रतिशत कम कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन उत्सर्जित करते हैं, जबकि E20 की बात करें तो यह 50 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड और 20 प्रतिशत कम हाइड्रोकार्बन उत्सर्जित करते हैं। इसकी तुलना में, E20 चार पहिया वाहन स्वच्छ पेट्रोल वाहनों की तुलना में 30 प्रतिशत कम कार्बन मोनोऑक्साइड और 20 प्रतिशत कम हाइड्रोकार्बन उत्सर्जित करते हैं। अनुसंधान एजेंसी आईसीआरए ने कहा है कि इथेनॉल मिश्रण न केवल वाहनों के उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा बल्कि ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, तेल आयात को कम करेगा और विदेशी मुद्रा भंडार को संरक्षित करेगा।

इथेनॉल उत्पादन से किसानों को क्या फायदा मिलेगा 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), के निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि सरकार अधिक से अधिक किसानों और आम लोगों के हितों के बारे में सोचती है। मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया पर सरकार का फोकस है। एथेनॉल पंप खुलने का फायदा किसानों को बड़े पैमाने पर मिलेगा। खासतौर पर गन्ना, जौ, अंगूर, मक्का जैसी फसलों की खेती करने वाले किसानों को काफी लाभ मिलेगा। इन उत्पादों से एथेनॉल तैयार होता है। आने वाले दिनों में सरकार एथेनॉल उत्पादन को लेकर बड़ी प्लानिंग कर रही है। ऐसे में यदि किसान गन्ना, जौ, अंगूर, मक्का जैसी फसलों की खेती पर फोकस करते हैं तो उन्हें इसका खूब फायदा मिल सकता है। इन उत्पादों की कीमत भी अच्छी मिलेगी। इसके अलवा एथेनॉल का उत्पादन गन्ने के सह उत्पादों से हो रहा है, जिससे गन्ना किसानों को भी इसका फायदा मिलेगा।

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