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29 जनवरी (एस कुमार) 1 फरवरी को पेश होने जा रहे अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से कृषि निर्यात पर सब्सिडी की घोषणा की संभावना जताई जा रही है। वित्त वर्ष 2024 में देश के कृषि क्षेत्र की विकास दर सात साल के निचले स्तर 1.80 फीसदी पर रहने का अनुमान है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के पहले अग्रिम अनुमान में यह अनुमान लगाया गया है। देश की आर्थिक विकास दर में कृषि क्षेत्र का महत्व महत्वपूर्ण रहता है। हालांकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि विकास दर के आंकड़े अभी स्पष्ट नहीं हैं, क्योंकि ये पांच से छह महीने की स्थितियों पर आधारित हैं, लेकिन असली तस्वीर फरवरी के बाद साफ होगी।
लेकिन पहले अनुमान में तस्वीर निराशाजनक दिख रही है। पिछले साल मानसून के कमजोर और अनियमित रहने के बाद से ज्यादातर खरीफ फसलों के उत्पादन में गिरावट आ रही है। चूंकि देश की पचास प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र में लगी हुई है, इसलिए कृषि क्षेत्र का विकास महत्वपूर्ण हो जाता है। कृषि क्षेत्र में कम आय का प्रभाव अक्सर अधिकांश क्षेत्रों में महसूस नहीं किया जाता है। उपभोग मांग बढ़ाने के लिए कृषि आय का स्तर ऊंचा रखना आवश्यक है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन और किसानों के हाथ में कितना पैसा है, इस पर निर्भर करती है। कृषि वस्तुओं के निर्यात से होने वाले घरेलू संकट को कम करना, घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को विभिन्न कृषि वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने सहित कई कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अब भी गेहूं, चावल और चीनी पर ऐसे प्रतिबंध देखने को मिलते हैं। इस तरह की अनिश्चितता के कारण न केवल निर्यात बाजार में भारत की साख को नुकसान होता है, बल्कि किसानों को फसल काटने में भी परेशानी होती है, जिसका सीधा असर उनकी आय पर पड़ता है।
कृषि निर्यात में वृद्धि को बनाए रखने के लिए कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ एक प्रभावी कृषि निर्यात नीति बनाना आवश्यक है। निर्यात में निरंतरता तभी बनी रहेगी जब घरेलू आपूर्ति बाधित न हो और निर्यात बाजार में मांग को पूरा करने की क्षमता बनाई जाए। इसके लिए प्रौद्योगिकी-आधारित उत्पादन क्षमता बनाने की आवश्यकता है जो अच्छी गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादों का उत्पादन बढ़ा सके और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनी रहे।
कोरोना महामारी के दौरान देश के ज्यादातर उद्योग मंदी में थे जबकि कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन काफी सराहनीय रहा। जहां अधिकांश क्षेत्रों ने नकारात्मक विकास दर हासिल की, वहीं कृषि क्षेत्र में 3.50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर देखी गई। अगर देश की समग्र विकास दर को मजबूत स्थिति में ले जाना है, तो कृषि विकास दर को बढ़ाना आवश्यक है। किसानों की आय दोगुनी करने के कई उपायों के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को हाईटेक बनाने के लिए बजट में प्रस्ताव कृषि क्षेत्र में बदलाव के लिए सही कदम साबित हो सकता है।