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Kali Mirch Ki Kheti in Hindi: काली मिर्च की उत्तम खेती से किसान कमा रहे अच्छा मुनाफा

काली मिर्च की खेती
काली मिर्च की खेती

काली मिर्च को मसालों का राजा कहा जाता है। काली मिर्च का उत्पादन भारत में पष्चिमी घाट के अन्दर सबसे ज्यादा होता है, यह राज्य कर्नाटक, केरल, गोवा, गुजरात तथा महाराष्ट्र में बड़े स्तर पर होता है। केरल राज्य में 98 प्रतिशत काली मिर्च का उत्पादन होता है। इसका पौधा लटा जैसी होती है तथा यह पान के पत्ते जैसी दिखाई देती है। इसका पौधा 30-40 मीटर ऊँचा हो सकता है। भारत में ऐसा कोई घर नहीं होगा जहाँ काली मिर्च का प्रयोग नहीं होता हो। इसे ऐसी मिट्टी में उगाया जा सकता है जो न तो बहुत सूखी हो और न ही बाढ़ के प्रति संवेदनशील हो, नम हो, अच्छी जल निकासी वाली हो, और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो। यह भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, लीवर को स्वस्थ बनाती है और दर्द तथा पेट के कीड़ों को खत्म करती है। काली मिर्च सूजन को कम करती है और इसे एक एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी माना जाता है। काली मिर्च में पाया जाने वाला प्रमुख घटक पिपेरिन है और यह तीव्र सूजन को भी ठीक कर सकता है। काली मिर्च एक ऐसा ही मसाला है जो न केवल खाने के स्वाद को बढ़ाने बल्कि, शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मददगार है। आयुर्वेद में काली मिर्च को औषधी के रूप में खूब इस्तेमाल किया जाता है। 1 हेक्टेयर भूमि पर 1600 पौधे लगाए जा सकते हैं। काली मिर्च का एक पौधा 30-35 साल तक फूलता है। इसके फल को छाया की जरूरत नहीं होती है।

जैविक काली मिर्च का उपयोग Black Pepper:

काली मिर्च का उपयोग चीन और भारत सहित एशिया में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, गठिया, इन्फ्लूएंजा और बुखार के इलाज और राहत के लिए एक हर्बल दवा के रूप में किया जाता है। काली मिर्च की चाय माइग्रेन के सिरदर्द, गले में खराश और खराब पाचन से राहत दिला सकती है। पिपेरिन में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एंटी-ट्यूमर गतिविधि होती  है, जो ठोस ट्यूमर के विकास को रोकती है। सूजनरोधी गतिविधि पिपेरिन की एक और जैव-गतिविधि है, जिससे जलन या सूजन कम हो जाती है। हरी मिर्च अक्सर बर्फ में जमाई जाती है और सुखाई जाती है। फिर इसे संरक्षित किया जाता है और सूप और सलाद में उपयोग किया जाता है। ठंड और खांसी के लिए एक प्रमाणित उपाय, यह भोजन को पचाने में सहायक होता है, वजन कम करता है, त्वचा समस्याओं का उपचार करता है, दिल और जिगर के रोगों को कम करता है, और कैंसर के जोखिम को भी कम करता है।

काली मिर्च की खेती के लिये जलवायु तापमान तथा मिट्टी Climate, temperature and soil for pepper cultivation:

काली मिर्च का पौधा ऐसे स्थान पर लगाएं, जहाँ तापमान 16 डिग्री सेल्सियस से कम न होता है। गर्म जलवायु में इस पौधे को किसी भी समय उगाया जा सकता है। काली मिर्च के पौधे को उगाने के लिए जनवरी–मार्च और इसकी कटिंग सितंबर-अक्टूबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है। काली मिर्च के पौधे उपजाऊ और मध्यम नमी वाली मिट्टी में अधिक उपज होती हैं। लाल या लेटराइट मिट्टी इसकी खेती के लिये सबसे बेहतर होती है। काली मिर्च का पौधा अच्छी तरह उगाने के लिए मिट्टी का पीएच स्तर 4.6 और 6 के बीच और तापमान 25–30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए, तथा 60-70 प्रतिशत नमी की आवश्यकता होती है। इस तापमान पर यह पौधा तेज़ी से वृद्धि करता है। इसके लिये मिट्टी में गोबर खाद और वर्मी कम्पोस्ट मिलाकर काली मिर्च का पौधा अधिक वृद्धि करता है।

काली मिर्च की खेती के लिये भूमि का चुनाव:

काली मिर्च की खेती के लिये लाल लेटराइट मिट्टी सर्वाधित उपयुक्त होती है। जिस मिट्टी में काली मिर्च की खेती की जाती है, उस मिट्टी में जल धारण की क्षमता होती चाहिए। इस भूमि में रूट सड़ान जैसी रोकने की क्षमता होनी चाहिए। इसकी खेती में कलम का उपयोग किया जाता है, इसकी 1 या 2 कलम को काटकर सितबंर के महीने में रोपित किया जाता है। इसके कलमों को एक कतार में लगाया जाता है। 

किसान कमा रहे अच्छा मुनाफा Farmers are Earning Good Profits:

भारत में शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां काली मिर्च का इस्तेमाल न होता हो। इसके बीज मटर तरह दिखाई देते हैं। इसका पेड़ डेढ़ किलो से लेकर 10 किलो तक का फल दे सकता है। बाजारों में इसकी कीमत लगभग 800 से लेकर 1200 रूपये तक। इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। एक पेड़ से 6-8 किलो काली मिर्च उगाई जा सकती है, तथा इसकी खेती करके किसान एक-दो साल में 8-10 लाख की कमाई कर सकता है।

काली मिर्च उन्नत क़िस्में Black Pepper improved Varieties:

  1. श्रीकारा काली मिर्च - सभी काली मिर्च उत्पादक क्षेत्रों में विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल। केरल और दक्षिणी कर्नाटक के सभी काली मिर्च 2677 किलोग्राम सूखी मिर्च/हे उत्पादन होता है। पत्ती का आकार अंडाकार तथा  उच्च गुणवत्ता वाली काली मिर्च देता है।
  2. शुभकारा काली मिर्च - यह उच्च गुणवत्ता वाली काली मिर्च और व्यापक क्षमता वाली होती है। इसकी संभावित उपज 4487 किलोग्राम सूखी मिर्च/हे है। केरल और दक्षिणी कर्नाटक काली मिर्च के उत्पादक क्षेत्र हैं।
  3. पीएलडी-2 काली मिर्च - आवश्यक तेल का उत्पादन 4.8% होता है। उच्च गुणवत्ता वाली और सभी काली मिर्च उत्पादक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है और इसमें ओलेरेसिन की मात्रा अधिक होती है।

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