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भारत सरकार ने रबी 2024-25 के दौरान किसानों को डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्यों, रेलवे और उर्वरक कंपनियों के साथ मिलकर सभी आवश्यक कदम उठाए हैं।
इस साल डीएपी की आपूर्ति पर वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों का प्रभाव पड़ा है। प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भारत को कम निर्यात और रेड सी संकट जैसी परिस्थितियों ने आपूर्ति में बाधा उत्पन्न की। 60% डीएपी की आपूर्ति आयात पर निर्भर है और घरेलू उत्पादन भी कच्चे माल के आयात पर निर्भर करता है। रेड सी संकट के कारण फॉस्फोरिक एसिड सहित अन्य सामग्री की आपूर्ति प्रभावित हुई, जिससे जहाजों को केप ऑफ गुड होप के माध्यम से यात्रा करनी पड़ी और आपूर्ति श्रृंखला में विलंब हुआ। इसके बावजूद, अक्टूबर-नवंबर 2024 के दौरान 17 लाख टन से अधिक आयातित डीएपी विभिन्न बंदरगाहों पर पहुंची और राज्यों को वितरित की गई। इसके अलावा 6.5 लाख टन घरेलू उत्पादन से भी राज्यों को आपूर्ति की गई।
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अक्टूबर और नवंबर 2024 में कुल 23 लाख टन डीएपी (आयातित और घरेलू) की आपूर्ति की गई। इस रबी सीजन में अब तक 34.81 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) डीएपी और 55.14 एलएमटी एनपीकेएस उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
राज्यों में उर्वरकों का उपयोग और खपत में वृद्धि: प्रमुख राज्य जैसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने इस रबी सीजन में 5 लाख टन अधिक एनपीकेएस का उपयोग किया है। देशभर में, पिछले रबी सीजन की तुलना में एनपीकेएस की खपत 10 लाख टन अधिक रही है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
स्थानीय उपलब्धता सुनिश्चित करने के सरकारी प्रयास: राज्यों में स्थानीय स्तर पर उपलब्धता से संबंधित समस्याओं को हल करने और तेजी से आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने राज्यों, रेलवे और उर्वरक कंपनियों के साथ संपूर्ण समन्वय स्थापित किया है। सरकार के इन गहन प्रयासों ने न केवल डीएपी और एनपीकेएस की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की है, बल्कि यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को समय पर उर्वरक मिल सकें, जिससे कृषि उत्पादन में सुधार होगा।
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