मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में शुक्रवार को मौसम ने अचानक करवट ली, जिसके कारण मंदसौर में तेज बारिश और ओलावृष्टि हुई। इस अप्रत्याशित मौसम बदलाव का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ा, खासतौर पर उन किसानों को जो अपनी लहसुन की फसल बेचने मंदसौर कृषि उपज मंडी में पहुंचे थे। देश की सबसे बड़ी लहसुन मंडी माने जाने वाली इस मंडी में खुले में रखा करोड़ों का लहसुन बारिश में भीगकर खराब हो गया।
मंडी में उचित भंडारण सुविधाओं का अभाव किसानों के लिए समस्या बन गया। मजबूरन किसानों को अपनी फसल खुले मैदान में रखना पड़ा। दोपहर बाद हुई तेज बारिश के कारण लहसुन की बोरियां भीग गईं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ। लहसुन की बोरियां पानी में तैरती रहीं, और फसल की गुणवत्ता खराब हो गई।
मंडी में शुक्रवार को लहसुन के दाम 4200 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 31500 रुपये प्रति क्विंटल तक थे। सुबह के समय कई किसानों की फसल बिक गई थी, लेकिन बारिश के बाद गीली फसल को व्यापारियों ने खरीदने से इनकार कर दिया। रतलाम जिले के किसान तेजपाल पाटीदार ने बताया कि उनकी फसल, जो 25000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकने वाली थी, बारिश में भीगने के कारण पूरी तरह बर्बाद हो गई।
मध्य प्रदेश में बिगड़े मौसम का असर जारी: मौसम वैज्ञानिकों ने अगले 3-4 दिनों तक प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि जारी रहने की संभावना जताई है। लगातार हो रही बारिश ने न केवल किसानों की फसलें खराब की हैं, बल्कि आम जनजीवन को भी प्रभावित किया है।
कृषि क्षेत्र पर गहरा प्रभाव: लगातार बदलते मौसम और ओलावृष्टि का असर केवल लहसुन पर ही नहीं, बल्कि गेहूं, चना और अन्य फसलों पर भी पड़ा है। किसानों के लिए यह मौसम चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि उनकी मेहनत बर्बाद होने के साथ ही आर्थिक नुकसान का खतरा भी बढ़ गया है।
निष्कर्ष: मंदसौर में हुई इस घटना ने यह उजागर किया कि खराब मौसम और भंडारण सुविधाओं की कमी किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। जहां लहसुन के ऊंचे दामों ने किसानों के लिए उम्मीदें जगाई थीं, वहीं अचानक बदले मौसम ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। ऐसे में मंडी प्रबंधन और सरकार को किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए बेहतर भंडारण सुविधाएं और राहत उपाय उपलब्ध कराना चाहिए।