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सोयाबीन की फसल को पीला सोना माना जाता है। मध्यप्रदेश में सोयाबीन की खेती व्यापक पैमाने पर की जाती है। किन्तु इस साल सोयाबीन की कीमतों में काफी गिरावट देखने को मिल रही है जिससे किसान इसके दाम को लेकर काफी परेशान हैं। कृषि लागत व मूल्य आयोग के मुताबिक देश में सोयाबीन की उपज लागत करीब 3261 रूपये प्रति क्विंटल आता है, लेकिन बहुत सी मण्डियों में सोयाबीन की कीमतों में काफी गिरावट आई है। जिससे किसानो की नाराजगी बढ़ गई है।
सोयाबीन तिलहन और दलहन तीनों फसलों में आता है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र इसके दो बड़े उत्पादक राज्य हैं और यहां के किसानों को इसके उत्पादन से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
आज से दो साल पहले तक सोयाबीन की कीमत 5000-6000 प्रति रूपये क्विंटल थे और सोयाबीन तेल करीब 100-150 रूपये किलो था। लेकिन वर्तमान में सोयाबीन के दाम 4000 रूपये क्विंटल है, किन्तु तेल के दाम कम नहीं हुये। नवंबर माह में सोयाबीन बाजार में आना शुरू हो जायेगा। पिछले वर्ष का सोयाबीन का मूल्य सही न मिलने की वजह से किसान अपने पास ही रोककर रख रहे हैं। इसलिये बाजरों में पिछले साल के मुकाबले आवक कम हो गई। कृषि मंत्रालय के अनुसार अगस्त माह के बीच देशभर में लगभग 43,460 टन सोयाबीन बिकने आया, जो 30 फीसदी कम है। वर्ष 2023 की अवधि में करीब 62,465 टन सोयाबीन मंडियों में बिकने आया।
भारतीय किसान मजदूर सेना के अध्यक्ष बबलू जाधन ने मीडिया से बातचीत पर बताया कि सोयाबीन की गिरती कीमतों के कारण किसानों की रूचि कम हो रही है, क्योंकि फसल एमएसपी से नीचे बिक रही है और किसान अन्य फसलों को उगाने में रूचि रखने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले एक महीने में मंडियों में सोयाबीन की नई फसल आने के बाद कीमतों में गिरावट हो सकती है। किसानों का कहना है कि आयात शुल्क कम होने की वजह से ही दूसरे देशों से सोया आयल बड़े पैमाने पर आयात हो रहा है और अपने देश के किसानों को काफी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
सोयाबीन की एमएमपी: केन्द्र सरकार ने विपणन सत्र 2024-25 के लिये सोयाबीन का एमएसपी मूल्य पिछले सत्र के 4600 रूपये प्रति क्विंटल से 292 रूपये बढ़ाकर 4892 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है।