विज्ञापन
सरसों रबी की तिलहनी फसल है जो शरद ऋतु में की जाती है। सरसों की फसल किसानों के लिये बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि इसमें कम सिंचाई एवं लागत की आवष्यकता होती है। भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से 6.9 मिलियन हेक्टेयर और पैदावार 7.2 मिलियन टन है। सरसों मुख्य रूप से मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश गुजरात, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, असम और पंजाब में की जाती है। मध्यप्रदश में उत्पादन की दृष्टि से मुरैना जिले की अहम भूमिका है। सरसों के बीज से तेल का उत्पादन 30-50 प्रतिशत होता है। इसके बीज का उपयोग मसालों एवं तेल का खाद्य के रूप में किया जाता है।
सरसों की बुवाई हल या सीड़ ड्रिल से कतारों में करनी चाहिए। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी. पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेमी. एवं बीज को 2-3 सेमी. से अधिक गहरा नहीं बोना चाहिए। फसलों की बुवाई क्यारियों में करना चाहिए। सरसों की बुवाई सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में की जाती है।
सरसों की फसल ठंडे और शुष्क जलवायु से उपज अच्छी होती है। सरसों की फसल को पलेवा लगाकर ही सिंचाई बुवाई करना चाहिए। शुष्क एवं नमी युक्त मिट्टी फसल के लिये उपयुक्त होती है। सरसों की फसल के लिये आदर्श तापमान 22 से 26 डिग्री सेल्सियस आवश्यक है। सरसों की फसल अच्छी जल का निकासी वाली दोमट या बलुई मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है। इसके लिये आदर्श पी.एच. 7-8 के बीच होना चाहिए।
खेत की अच्छे से 2-3 बार जुताई करने के बाद खेत में पाटा लगाना चाहिए जिससे खेत में ढेले न बने। गर्मी में गहरी जुताई करने से कीडे़ मकौड़े व खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। बरसात के बाद हल से जुताई कर नमी को संरक्षित करने के लिये पाटा लगाना चाहिए जिससे कि भूमि में नमी बनी रहे। अगर बोनी से पूर्व भूमि में नमी की कमी है तो खेत में पलेवा लगाना चाहिए। उचित समय पर बोनी करने से उत्पादन अधिक होता है।
सिंचाई की आवश्यकता: राई-सरसों की फसल में सिंचाई पट्टी विधि द्वारा करनी चाहिए। सरसों की फसल में पहली सिंचाई बुवाई या फूल प्रारंभ होने के दौरान 20-25 दिन पर तथा दूसरी सिंचाई 50-55 दिन पर फली में दाना आने की अवस्था पर करने से उपज अच्छी होती है। खेत की ढाल व लंबाई के अनुसार 4-6 मीटर चौड़ी पट्टी बनाकर सिंचाई करना चाहिए।
खाद एवं उर्वरक: सरसों की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिये केचुंआ की खाद, गोबर या कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए। राई-सरसों को नाइट्रोजन, स्फुर एवं पोटाश जैसे प्राथमिक तत्वों के अलावा सल्फर तत्व की आवश्यकता अन्य फसलों की तुलना में अधिक होती है।
सरसों की प्रमुख किस्में:
सरसों की कटाई: सरसों की फसल जब बीज सख्त व फली पीली हो जाए तब फसल की कटाई करना चाहिए। सरसों की फसल 110-145 दिन में कटने के लिये तैयार हो जाती है।
फसल चिकित्सा तथा रोग निवारण:
भंडारण उत्पादन: अच्छे से बुवाई करने पर सरसों का उत्पादन 10 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ हो सकती है। खुली हुई बोतलों को हमेशा फ्रिज में रखें और सुनिश्चित करें कि ढक्कन कसकर सील किया गया हो। सरसों को निकालने के लिये गंदे या दूषित बर्तनों का उपयोग करने से बचें, क्योंकि इससे बैक्टीरिया फैल सकते हैं और खराब हो सकते हैं।