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किसान भाइयों डीएपी की जगह एनपीके और सिंगल सुपर फास्फेट का करें उपयोग, जानिए क्यों

किसान भाइयों डीएपी की जगह एनपीके और सिंगल सुपर फास्फेट का करें उपयोग, जानिए क्यों
सिंगल सुपर फास्फेट

सभी क्षेत्रों में खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है, अब बात आती है इन फसलों में उर्वरक की। सितम्बर माह में उर्वरकों की मांग, आपर्ति और उपलब्धता के अनुसार फसलों में खाद की मांग बनी रहती है। राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव कृषि व उद्यानिकी वैभव गालरिया की पंत कृषि भवन के समिति कक्ष में उर्वरकों के लिये समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में प्रमुख सचिव किसानों को डीएपी की जगह पर सिंगल सुपर फास्फेट व यूरिया को मिलाकर छिड़काव करने का सलाह दिया।

क्या है सिंगल सुपर फास्फेट What is single super phosphate:

संगल सुपर फॉस्फेट एक बेहद किफायती और टिकाऊ उर्वरक है, जिसमें लगभग 16% फास्फोरस और 11% सल्फर पाया जाता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, दूसरे उर्वरक की तुलना में दलहन और तिलहनी फसलों के लिये सल्फर काफी फायदेमंद होता है। इससे ना सिर्फ तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा में बढ़ोतरी होती है बल्कि दलहनी फसलों में भी इसके प्रयोग से प्रोटीन की मात्रा में बढ़ोतरी देखी गई है।

एसएसपी एवं एनपीके के उपयोग को मिलेगा बढ़ावा Use of SSP and NPK will be encouraged:

कृषि एवं उद्यानिकी शासन सचिव ने निर्देशित किया कि डीएपी, यूरिया, एनपीके और एसएसपी उर्वरकों का सितम्बर माह का आवंटन जो केन्द्र सरकार द्वारा किया गया है। उन्होंने निर्देश दिया कि वे कृषकों को डीएपी के स्थान पर एसएसपी एवं एनपीके के उपयोगों को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित करें। कृषि आयुक्त कन्हैया लाल स्वामी ने नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, सिंगल सुपर फास्फेट को किसानों द्वारा ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लेने के लिए इसका प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा। किसान एसएसपी व यूरिया को मिलाकर विकल्प के रूप में उपयोग करने से फसलों का न केवल उत्पादन बढ़ता है बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

सिंगल सुपर फॉस्फेट और एनपीके को बेहतर विकल्प Single super phosphate and NPK are better options:

उर्वरक मंत्रालय के रिपोर्ट अनुसार भारत 50 फीसदी फॉस्फेटिक उर्वरक का उत्पादन करता है। पोटाश, फास्फोरस और नाइट्रोजन तीनो विदेशों से आते है। विदेशों से डीएपी तैयार और रॉ मटेरियल दोनो रूप में मंगाई जाती है। जैसे ही खेती का सीजन आता है किसानों के बीच डीएपी की मांग बढ़ जाती है। खेती के लिए लगभग 17 प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिसमें मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश होता है। द्वितीयक पोषक तत्व सल्फर, मैग्नीशियम और कैल्शियम होता है तथा तृतीयक पोषक तत्व जिंक, आयरन और बोरान आदि होता है। डीएपी कि कमी के निदान हेतु कृषि विभाग और विशेषज्ञो ने सिंगल सुपर फॉस्फेट और एनपीके को डीएपी का बेहतर विकल्प माना है।

एनपीके और एसएसपी के उपयोग से कृषि में बढ़ेगी उर्वरक दक्षता: इस खाद की प्रति एकड़ में 1 बोरा मात्रा की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार नाईट्रोजन 12 प्रतिशत, फॉस्फोरस 32 प्रतिशत, पोटाश 16 प्रतिशत मिश्रित रसायन होते है। इस खाद की प्रति एकड़ में 1.5 बोरा मात्रा की आवश्यकता होती है। एसएसपी में फॉस्फोरस 16 प्रतिशत, सल्फर 11 प्रतिशत,  कैल्शियम 8 प्रतिशत मिश्रित रसायन होते है। किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके और एसएसपी खाद उपयोग किये जाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।

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