मध्यप्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब खेतों में नरवाई (फसल अवशेष) जलाने वाले किसानों को मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं, ऐसे किसानों से आगामी वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल उपार्जन भी नहीं किया जाएगा। यह निर्णय 1 मई से प्रदेश में लागू होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है, लेकिन फसल कटाई के बाद नरवाई जलाने की बढ़ती घटनाएं पर्यावरण, वायु और मृदा की सेहत को नुकसान पहुँचा रही हैं। इससे न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उत्पादकता घटती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है और अब इस दिशा में कठोर कदम उठाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि शासकीय भूमि, तालाब, बावड़ियां, कुएं और गांवों के सार्वजनिक रास्तों से अतिक्रमण हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। उन्होंने जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत सभी जल स्रोतों को अतिक्रमण मुक्त कर राजस्व अभिलेखों में अनिवार्य रूप से दर्ज करने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश ने स्वामित्व योजना और फार्मर रजिस्ट्री के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश में 45.60 लाख लक्षित संपत्तियों में से अब तक 39.63 लाख संपत्तियों के अधिकार अभिलेख वितरित किए जा चुके हैं, यह कार्य जून 2025 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके अलावा फार्मर रजिस्ट्री के अंतर्गत अब तक 80 लाख फार्मर आईडी बनाई जा चुकी हैं। इसके लिए स्थानीय युवाओं और विशेष कैंप्स की मदद ली जा रही है।
प्रदेश में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 85 लाख से अधिक किसानों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपए की आर्थिक सहायता केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही है। मार्च 2025 तक इस योजना के अंतर्गत 28,800 करोड़ रुपए से अधिक की राशि हितग्राहियों के बैंक खातों में अंतरित की जा चुकी है। राज्य सरकार ने वर्ष 2020 से मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना भी लागू की है, जिसके तहत पात्र किसानों को अतिरिक्त 6,000 रुपए की सहायता दी जा रही है। अब तक इस योजना के अंतर्गत 17,500 करोड़ रुपए से अधिक की राशि वितरित की जा चुकी है।
190 फसलों का रिकॉर्ड बनेगा ऑनलाइन: राजस्व विभाग ने वर्ष 2024 से गिरदावरी कार्य को डिजिटल करने की दिशा में कदम उठाया है। इस अभियान में 60,000 से अधिक ग्रामीण युवा खेतों में जाकर फसलों का सर्वेक्षण कर रहे हैं। प्रदेश में 190 प्रकार की फसलों की खेती की जा रही है, जिसे अब डिजिटल रिकॉर्ड में लाया जा रहा है।