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पैडी वेस्ट से किसानों को मिलेगा आमदनी का अतिरिक्त जरिया: IIT के शोधकर्ता बना रहे योजना, इस डिवाइस से पर्यावरण को ङी होगा फायदा

पैडी वेस्ट से किसानों को मिलेगा आमदनी का अतिरिक्त जरिया: IIT के शोधकर्ता बना रहे योजना, इस डिवाइस से पर्यावरण को ङी होगा फायदा
पैडी वेस्ट से किसानों को मिलेगा आमदनी का अतिरिक्त जरिया: IIT के शोधकर्ता बना रहे योजना, इस डिवाइस से पर्यावरण को ङी होगा फायदा

भारत एक कृषि प्रधान देश है। एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देश कि 60 फीसदी जमीन कृषि भूमि है। यानी देश की एक अच्छी आबादी खेती करती है। ऐसे में भारत में भारी मात्रा में सालाना 760 लाख मीट्रिक टन पराली यानी पैडी वेस्ट निकलता है। किसानों के लिए पराली को मिट्टी में मिलाने की तुलना में इसे जलाना बहुत सस्ता पड़ता है और वे इसे सबसे कारगर उपाय मानते हैं। लेकिन इससे भयानक प्रदूषण होता है और ये पूरे परिवेश के लिए यह एक गंभीर समस्या है।  इस समस्या का समाधान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT मद्रास) के रिसर्चर ने निकाला। शोधकर्ताओं ने धान के कचरे के लाभदायक उपयोग के लिए सुपरकैपेसिटर बनाने की पर्यावरण अनुकूल तकनीक विकसित करने की योजना बनाई है। इससे विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चे माल का निर्माण भी संभव हो सकेगा।

किसानों की कमाई का जरिया:

IIT मद्रास ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि रिसर्चर्स ने उद्योगों के काम आने के लिए कच्चे माल के निर्माण के लिए धान के कचरे को अपसाइकिल करने के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल टेक्नोलॉजी विकसित करने की योजना बनाई है। ये टेक्नोलॉजी किसानों को कमाई का एक अतिरिक्त साधन देगी। धान के कचरे का उपयोग उन एनर्जी डिवाइस के प्रोडक्शन के लिए किया जा सकता है, जिनका उद्योग द्वारा उपयोग किया जा सकता है। इस प्रयास से उत्तर भारत में पराली और अन्य कृषि अपशिष्टों को जलाने पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। 

जैविक कचरे से होगा डेवलप: शोधकर्ता जैविक कचरे, विशेष रूप से रसोई के कचरे से उपयोगी एक्टिवेटेड कार्बन विकसित कर रहे हैं। ये सुपरकैपेसिटर का एक प्रमुख घटक है। इस शोध कार्य के माध्यम से वे एक नई ‘फार्म-एनर्जी सिनर्जी’ को बढ़ावा दे रहे हैं। पैडी वेस्ट से प्राप्त एक्टिवेटेड कार्बन से तैयार सुपरकैपेसिटर के कई लाभ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों के उपभोक्ता प्राप्त कर सकते हैं और इससे सुपरकैपेसिटर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।

योजना के लाभ: प्रोजेक्ट के प्रमुख डॉ. जू थॉमस ने कहा कि यह हमारे देश में पराली को आर्थिक रूप से लाभकारी कार्बन सामग्री में बदलने में मदद करेगा। इसके साथ ही एक्टिवेटेड कार्बन से सुपरकैपेसिटर बनाया जा सकता है जो बाजार के स्टैंडर्ड पर खरा उतरेगा। इस सामग्री का उपयोग करके एक उपयुक्त सुपरकैपेसिटर हाइब्रिड एनर्जी स्टोरेज डिवाइस बनाया जाएगा। सुपरकैपेसिटर को एक मॉड्यूलर अटैचमेंट के रूप में पेश करना पूरी दुनिया के लिए ऊर्जा समाधान में सहायक होगा। यह बड़े स्तर पर लागू होने वाला फार्म-टू-एनर्जी इंटरफेस होगा। यह एक साथ किसानों और औद्योगिक क्षेत्र को अपना लाभ देगा।

इन जगहों पर होगा उपयोग: एक्टिवेटेड कार्बन का उपयोग केवल ऊर्जा क्षेत्र नहीं बल्कि पानी के ट्रीटमेंट, दवा उद्योग और बायोचार के उत्पादन में भी होता है। आइआइटी मद्रास के शोधकर्ता जो डिवाइस बना रहे हैं वे ऊर्जा क्षेत्र और परिवहन क्षेत्र के लिए भी उपयोगी हैं। उदाहरण के लिए कैंपस के लैब में बने सुपरकैपेसिटर के इस्तेमाल से इलेक्ट्रिक वाहनों को लाभ मिल सकता है।

 

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