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धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है जो जून मध्य से जुलाई प्रथम सप्ताह तक बोनी का समय सबसे उपयुक्त होता है। धान की खेती करने वाले किसान इस उम्मीद में खेती करते हैं कि उन्हें अन्य फसलों के मुकाबले इससे अच्छा उत्पादन और अधिक मुनाफा मिल सके। कई राज्यों में किसान धान की बिजाई मई आते ही नर्सरी लगाना शुरू कर देते हैं। किसानों के इन्ही परेशानियों के समाधान के लिए मार्केट में नया किस्म मंसूरी धान आया है जिसका नाम सबौर मंसूरी है। यह धान कम पानी, उर्वरक और कम खर्च में सामान्य धान की तुलना में लगभग डेढ़ गुना अधिक उत्पादन देती है।
धान की इस किस्म का नाम सबौर मंसूरी धान है। यह किस्म कम पानी, उर्वरक और कम खर्च में अधिक उपज देती है। धान की इस वैरायटी सबौर मंसूरी से लगभग डेढ़ गुना अधिक उपज मिलती है। इस धान की खासियत य़ह है कि धान के बीज को बिना रोपनी के सिधी बिजाई से भी लगा सकते हैं। इसकी औसत उपज 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। अधिकतम उत्पादन 122 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। यह धान सीधी बुवाई में 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाता है।
सबौर मंसूरी धान का उत्पादन देश के 9 राज्यों में होगा। जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और पुडुचेरी को शामिल किया गया है। धान की इस नई किस्म को बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने तैयार की है। पिछले 4 वर्षों तक बिहार सहित देश के 19 राज्यों में अखिल भारतीय समन्वित धान सुधार परियोजना के तहत 125 केंद्रों पर परीक्षण किया गया था। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वैरायटी के पौधे में औसतन 18 से 20 कल्ले होते हैं, जिसमें 300 से अधिक दाने होते हैं।
कीट और रोग प्रतिरोधी क्षमता: धान की इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है। यह धान झुलसा और झोंका रोग के प्रति प्रतिरोधी होती है। ये तना छेदक और भूरा पत्ती लपेटक कीट के प्रति सहनशील होते हैं। साथ ही इसका तना भी बहुत मजबूत होता है। जिससे ये बदलते मौसम और बार-बार आने वाले आंधी-तूफान में भी नहीं गिरेगा।
आईसीएआर के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि पूसा संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की उन्नत प्रजातियों के बीज किसानों को हर साल दिया जाता हैं। इस वर्ष पूसा संस्थान धान की नई विकसित किस्में पूसा बासमती 112, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1850, पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1728, तथा पूसा बासमती 1692 जैसी किस्मों के बीज किसानों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराये जाएंगे।