प्रदेश में शहरी क्षेत्रों के गरीब परिवारों को आजीविका के साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नगरीय निकाय बैंकों के साथ मिलकर स्व-सहायता समूहों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रहे हैं। अब तक 9318 स्व-सहायता समूहों का गठन कर 9000 से अधिक शहरी गरीब परिवारों को इनसे जोड़ा गया है। इसके साथ ही 642 एरिया लेवल फेडरेशन और 34 सिटी लेवल फेडरेशन का गठन कर स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की पहल की गई है।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 6720 स्व-सहायता समूहों को लगभग 6 करोड़ 75 लाख रुपये की राशि प्रदान की है। स्वरोजगार कार्यक्रम के तहत पूर्व स्वीकृत व्यक्तिगत ऋणों में 5723 हितग्राहियों को लगभग 77 करोड़ रुपये और 396 स्व-सहायता समूहों को समूहगत ऋण के रूप में 11 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, 3581 स्व-सहायता समूहों का बैंक लिंकेज कर 21 करोड़ 50 लाख रुपये का ऋण वितरित किया गया है।
शहरी स्व-सहायता समूहों को नगरीय विकास विभाग द्वारा अन्य केंद्रीय योजनाओं जैसे अमृत 2.0 और स्वच्छ भारत मिशन से जोड़ा गया है। इस योजना में 10 नगरीय निकायों—जबलपुर, भोपाल, इंदौर, नर्मदापुरम, छतरपुर, ग्वालियर, रीवा, छिंदवाड़ा, धार और देवास के 20 स्व-सहायता समूहों को 56 लाख रुपये के कार्यादेश जारी किए गए हैं। इन्हें जल गुणवत्ता परीक्षण, सार्वजनिक पार्कों के संचालन एवं रखरखाव, स्वच्छता जागरूकता और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट जैसी गतिविधियों की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा प्रदेश के 45 अन्य निकायों का चयन किया गया है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत 166 स्व-सहायता समूह सेनिटेशन और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के कार्यों से जुड़े हुए हैं। इन समूहों के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया जा रहा है।
उद्यानिकी विभाग की योजनाओं में योगदान: स्व-सहायता समूहों को केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना (पीएमएफएमई) से जोड़ा गया है। इसके तहत सीड कैपिटल घटक में 126 स्व-सहायता समूहों के 708 सदस्यों को एरिया लेवल फेडरेशन के माध्यम से 3 करोड़ रुपये खाद्य प्रसंस्करण संबंधी गतिविधियों के लिए दिए गए हैं। इसके अलावा 103 स्व-सहायता समूहों के 600 सदस्यों को उद्यानिकी गतिविधियों के लिए 2 करोड़ रुपये के प्रस्ताव भेजे गए हैं।
प्रशिक्षण और महिलाओं की भागीदारी पर जोर: शहरी स्व-सहायता समूहों को खाद्य प्रसंस्करण और उद्यानिकी से संबंधित गतिविधियों का निरंतर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही शहरी क्षेत्र की महिलाओं को अधिक से अधिक जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसस वे आत्मनिर्भर बनकर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। शहरी स्व-सहायता समूहों के माध्यम से प्रदेश के शहरी गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने की यह पहल न केवल उनकी आजीविका का साधन बनी है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।