अमरूद की खेती देश के कई हिस्सों में की जाती है, और कुछ किस्में सालभर फल देती हैं। हालांकि, सर्दियों के मौसम में किसान कई चुनौतियों का सामना करते हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है। यदि सही कृषि प्रबंधन अपनाया जाए, तो इस मौसम में भी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। आइए जानते हैं सर्दियों में अमरूद की फसल के प्रभावी प्रबंधन के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय
सर्दियों में ठंड सहन करने वाली किस्मों का चयन करना ज़रूरी है। उत्तर भारत के लिए ‘लखनऊ 49’, ‘इलाहाबाद सफेदा’ और ‘सरदार’ जैसी किस्में उपयुक्त मानी जाती हैं। ये ठंड में भी बेहतर उपज देती हैं और पौधों के स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं।
कटाई-छंटाई (प्रूनिंग) करें: हल्की छंटाई से मृत और रोगग्रस्त शाखाओं को हटाएं। इससे पौधों में हवा और धूप का संचार बेहतर होगा। नई शाखाओं के विकास से फलों की गुणवत्ता में सुधार होगा।
मृदा प्रबंधन पर ध्यान दें: सर्दियों से पहले मिट्टी की जाँच कर जैविक खाद या कम्पोस्ट डालें। यह मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवार रोकने और तापमान संतुलित करने में मदद करता है।
सर्दियों में पानी की जरूरत कम होती है, इसलिए अधिक सिंचाई से बचें। शुष्क मौसम में गहरी सिंचाई करें, लेकिन जलभराव न होने दें। ड्रिप सिंचाई प्रणाली इस मौसम में कारगर होती है, जिससे जड़ों तक सही मात्रा में नमी पहुंचती है।
उर्वरक प्रबंधन करें: सर्दियों में संतुलित उर्वरक देने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें। उर्वरक का आधा भाग सर्दियों से पहले और शेष भाग फूल आने के समय दें।
कीट और रोग नियंत्रण करें: फल मक्खी और मीलीबग जैसे कीटों से बचाव के लिए नियमित निगरानी करें। नीम तेल और जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें। गिरे हुए फल और मलबा हटाएं, ताकि खेत साफ-सुथरा रहे और रोगों का खतरा कम हो।
तापमान से बचाव के उपाय अपनाएं: ठंड से बचाव के लिए युवा पौधों को पॉलीहाउस या कवर से ढकें। तेज ठंडी हवाओं से बचाने के लिए बाग के चारों ओर वायुरोधी व्यवस्थाएं करें।
सही तरीके से कटाई और भंडारण करें: फल पूरी तरह पकने के बाद लेकिन कठोर अवस्था में ही तोड़ें। कटाई के बाद फलों को अच्छी तरह धोकर, छांटकर उचित तापमान में संग्रहित करें। सही भंडारण से फलों की शेल्फ लाइफ बढ़ती है और नुकसान कम होता है।