• होम
  • Sugarcane variety: आईसीएआर द्वारा विकसित गन्ना की चार उन्नत...

विज्ञापन

Sugarcane variety: आईसीएआर द्वारा विकसित गन्ना की चार उन्नत किस्में, जाने इनकी विशेषताएं

गन्ना
गन्ना

करन-17 (Co 17018):  करन-17 (Co 17018)  गन्ना की एक उन्नत वेरायटी है। गन्ना की इस खास किस्म को आईसीएआर-गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर, तमिलनाडु द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों (हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड) के लिए उपयुक्त है। यह किस्म सिंचित क्षेत्र और समय पर या देर से बोई जाने वाली खेती के लिए उपयुक्त है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 914.8 क्विंटल की उपज प्राप्त होती है और इस किस्म को तैयार होने में 330-360 दिन का समय लगता है। इसमें सुक्रोज: 18.38 प्रतिशत पाया जाता है। यह किस्म लवणता सहिष्णु, लाल सड़न के प्रति प्रतिरोधी से मध्यम प्रतिरोधी, स्मट के प्रति संवेदनशीलता और शूट बोरर, स्टॉक बोरर और टॉप बोरर के प्रति कम संवेदनशील होता है। 

आईकेएचएसयू-16 (CoLk 16202) IKHSU-16 (CoLk 16202):

गन्ना की यह एक उन्नत वेरायटी है। गन्ना की इस खास किस्म को आईसीएआर-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त है। यह किस्म सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 932 क्विंटल की उपज प्राप्त होती है और इस किस्म को तैयार होने में 10 महीने (प्रारंभिक) का समय लगता है। इसमें सुक्रोज: 17.74 प्रतिशत पाया जाता है। यह किस्म सूखा सहिष्णुता, लाल सड़न रोगजनकों CF08 और CF13, स्मट, और विल्म के प्रति मध्यम प्रतिरोधी होता है।

ये भी पढें... गन्ने की फसल में उकठा रोग की पहचान और निवारण के उपाय, जानिए अपने खेतिव्यापार पर

आईकेएचएसयू-17 (CoLk 16470) IKHSU-17 (CoLk 16470): 

गन्ना की यह भी एक उन्नत वेरायटी है। गन्ना की इस खास किस्म को आईसीएआर-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम के लिए उपयुक्त है। यह किस्म सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 825 क्विंटल की उपज प्राप्त होती है और इस किस्म को तैयार होने में 360 दिन का समय लगता है। इसमें सुक्रोज: 17.37 प्रतिशत पाया जाता है और सीसीएस: 95.9 क्विंटल/हेक्टेयर होता है। यह किस्म लाल सड़न, स्मट और मुख्य कीटों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी होता है। 

कोपीबी-99 (CoPb 17215):  गन्ना की कोपीबी-99 (CoPb 17215) एक उन्नत वेरायटी है। गन्ना की इस खास किस्म को आईसीएआर-एआईसीआरपी गन्ना, पीएयू क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन, कपूरथला, पंजाब द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त है। यह किस्म मध्यम और उच्च उपजाऊ मिट्टी वाले सिंचित उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। इस किस्म से औसत गन्ना 901.4 क्विंटल/हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है और इस किस्म को तैयार होने में 12 महीने (मध्यम-देर) का समय लगता है। इसमें सुक्रोज: 18.01 प्रतिशत पाया जाता है और सीसीएस: 112.7 क्विंटल/हेक्टेयर होता है। यह किस्म लाल सड़न की प्रचलित नस्लों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी/प्रतिरोधी होता है।
ये उन्नत किस्में गन्ना उत्पादन में नई ऊंचाइयां स्थापित करने और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रही हैं।

ये भी पढें... गन्ने की खेती से हो रहा डबल मुनाफा, जाने इसमें लगने वाले रोग व नियंत्रण

 

विज्ञापन

लेटेस्ट

विज्ञापन

khetivyapar.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण जानकारी WhatsApp चैनल से जुड़ें