• होम
  • भविष्य की खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता संरक्षण के लिए स्थापि...

भविष्य की खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता संरक्षण के लिए स्थापित होगा जीन बैंक, कृषि क्षेत्र को नई दिशा देने में मिलेगी मदद

भारत में तैयार होगा आधुनिक जीन बैंक
भारत में तैयार होगा आधुनिक जीन बैंक

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बजट पश्चात वेबिनार को संबोधित करते हुए देश में एक नया जीन बैंक स्थापित करने की घोषणा की। इस पहल का उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा और आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित करना है। इससे कृषि क्षेत्र को नया आयाम देने में मदद मिलेगी।

दूसरे राष्ट्रीय जीन बैंक की स्थापना से भारत वैश्विक स्तर पर जैव विविधता संरक्षण का नेतृत्व करेगा। यह कदम कृषि क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ-साथ किसानों को अधिक सशक्त बनाएगा। 

भारत की वैश्विक जैव विविधता संरक्षण में बढ़ेगी भूमिका:

भारत सरकार ने 2025-26 के बजट में दूसरे राष्ट्रीय जीन बैंक की स्थापना की घोषणा की है। यह नया जीन बैंक 10 लाख (1 मिलियन) जर्मप्लाज्म लाइनों को सुरक्षित रखने की क्षमता रखेगा, जिससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन को मजबूती मिलेगी। इस कदम से भारत की वैश्विक जैव विविधता संरक्षण में भूमिका और मजबूत होगी। यह नया जीन बैंक न केवल भारत की बहुमूल्य वनस्पति आनुवंशिक संपदा को सुरक्षित रखेगा, बल्कि SAARC और BRICS देशों जैसे अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता अभियानों में भी सहयोग प्रदान करेगा।

क्या होता है जीन बैंक?

जीन बैंक एक अनुवांशिक भंडार होता है, जहां बीज, पराग (पोलन) और ऊतक नमूने संग्रहीत किए जाते हैं ताकि उन्हें विलुप्ति से बचाया जा सके और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके।

भारत में पहले जीन बैंक की स्थापना:

भारत का पहला जीन बैंक 1996 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR-NBPGR) द्वारा नई दिल्ली में स्थापित किया गया था। यह जीन बैंक 12 क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से देशभर में महत्वपूर्ण फसलों के जर्मप्लाज्म (आनुवंशिक संरचना) को संग्रहीत और संरक्षित करता है।

वर्तमान में जीन बैंक में संग्रहित महत्वपूर्ण फसलें:

15 जनवरी 2025 तक, भारत के पहले जीन बैंक में 4.7 लाख (0.47 मिलियन) जर्मप्लाज्म एक्सेशन्स संरक्षित हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. अनाज (Cereals): 1.7 लाख (0.17 मिलियन) एक्सेशन्स
  2. मोटे अनाज (Millets): 60,600 से अधिक एक्सेशन्स
  3. दलहन (Legumes): 69,200 से अधिक एक्सेशन्स
  4. तिलहन (Oilseeds): 63,500 से अधिक एक्सेशन्स
  5. सब्जियां (Vegetables): 30,000 के करीब एक्सेशन्स

कृषि क्षेत्र में जीन बैंक की आवश्यकता क्यों?

भारत एक जैव विविधता से भरपूर देश है, जहां 811 कृषि फसल प्रजातियां और 902 जंगली रिश्तेदार पाई जाती हैं। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं और वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियां खाद्य सुरक्षा और आनुवंशिक विविधता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही हैं। ऐसे में, दूसरे जीन बैंक की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत की कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को दीर्घकालिक रूप से सुनिश्चित करेगा।

दूसरे जीन बैंक की विशेषताएं और लाभ:

  1. खाद्य सुरक्षा: यह जीन बैंक कृषि अनुसंधानकर्ताओं, वैज्ञानिकों और प्रजनकों को उन्नत और जलवायु-अनुकूल फसलें विकसित करने में मदद करेगा।
  2. जलवायु सहनशील फसलें: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पारंपरिक और दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण किया जाएगा।
  3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: यह जीन बैंक वैश्विक जैव विविधता संरक्षण प्रयासों का हिस्सा बनेगा और अन्य देशों को भी सहयोग प्रदान करेगा।
  4. कृषि नवाचार को बढ़ावा: नए बीज और फसल किस्मों के अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारतीय किसान अधिक उत्पादक और लाभदायक कृषि कर सकेंगे।
लेटेस्ट
khetivyapar.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण जानकारी WhatsApp चैनल से जुड़ें