विज्ञापन
भारत में खेती को आत्मनिर्भर बनाने के लिये किसानों के खेत में सोलर फार्म स्टेशन बना कर सिंचाई के अलावा खेती के अन्य उपकरण चलाने की सुविधा मिलेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों के लिए सौर ऊर्जा की मदद से खेती में बहुआयामी उपयोग करने की पहल शुरू की है। इसकी मदद से किसान सोलर पंप के अलावा सौर ऊर्जा से राईस मिल भी चलेंगे। सरकार ने कृषि की उत्पादकता में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को सुनिश्चित करते हुए प्रोजेक्ट के रूप में एक सोलर फार्म स्टेशन स्थापित किया है।
छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा जिले में सरकार की ओर से खेत पर ही सोलर फार्म स्टेशन की सौगात दी गई है। करीब 27 लाख रुपये लागत से इस सोलर फार्म स्टेशन से किसान सोलर पंप का इस्तेमाल करके न सिर्फ सिंचाई क्षमता को बढ़ा रहे हैं, बल्कि धान मिल सहित आधुनिक कृषि उपकरणों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। दंतेवाड़ा जिले में धान कुटाई की छोटी मिल भी स्थापित की गई है। यह मिल पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित है और चावल की गुणवत्ता भी बेहतर पाई गई है। इस मिल में चावल भी कम टूटते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार सौर ऊर्जा का उपयोग कर किसानों को अपने खेत की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना आसान होगा।
सोलर फार्म स्टेशन के साथ धान मिल से किसानों के समय, श्रम और लागत में बचत होगी। इसके तहत किसानों के एक समूह को सोलर पावर स्टेशन का संचालन करने का प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। किसान पुराने तरीकों से खेती करते आ रहे हैं किसानों को फसलों के लिए पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है लेकिन अब सोलर फार्म स्टेशन स्थापित होने से सिंचाई के लिए साल भर के पानी की व्यवस्था हो गई है। इससे किसान एक साल में करीब 3 से 4 फसलें उगा सकेंगे।
सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल: सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से कृषकों के फसल उत्पादन क्षमता में वृद्धि के साथ उनके जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव देखा जा सकता है। इसमें सोलर फोटोवोल्टाइक सेल की मदद से सौर किरणों को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इस ऊर्जा एवं आधुनिक कृषि तकनीक के मेल से कृषि उत्पादकता में वृद्धि कर जिले दंतेवाड़ा के कृषकों को लाभान्वित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस सोलर फार्म स्टेशन से कृषक पंपों का ऊर्जीकरण करके न केवल सिंचाई क्षमता को बढ़ाया जायेगा बल्कि इसके द्वारा आधुनिक कृषि मशीनरी जैसे थ्रेसर और बीडर आदि उपकरण भी संचालित होंगे। सोलर फार्म स्टेशन के ऑपरेटर ने बताया कि इस सौर उर्जीकृत लघु मिल से धान से निकलने वाले चावल की गुणवत्ता बेहतर होती है और चावल भी कम टूटते हैं। जिससे किसानों को समय और श्रम की बचत होगी। इसके लिए कृषकों के एक समूह को सोलर पावर स्टेशन संचालित करने का प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।