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मध्य प्रदेश का आगर मालवा जिला इस खास कबीट फल के लिए जाना जाता है। आयुर्वेदिक फल के रूप में जाना जाने वाला यह फल इस बार यहां अच्छी मात्रा में हुआ है। यहां के किसानों ने कबीर तोड़ लिए हैं और अब इनको सुखाने का काम चल रहा है। मैदानी इलाकों में कबीट की कटाई के बाद अभी उसे सुखाया जा रहा है। किसानों का कहना है कि इस साल उन्हें कबीट से बेहतर कमाई की उम्मीद है। इस फल से कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाई जाती हैं।
आगर मालवा जिला और उसके आसपास इलाकों में किसान बड़े स्तर पर कबीट की खेती करते हैं। यह फल महाराष्ट्र में भी उगाया जाता है। कीमत की बात करें, तो इसका थोक रेट अभी 100 रुपये किलो से अधिक है। जबकि, खुदरा मार्केट में इसकी कीमत और बढ़ जाती है। किसानों के अनुसार इस साल कबीट की बंपर पैदावार हुई है। ऐसे में कमाई भी अच्छी होगी।
कबीट को पेड़ से तोड़ने के बाद धूप में सूखाने के लिए इसकी कटाई की जाती है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। कबीट ज्यादा पक जाने पर इसका स्वाद मीठा लगता है जिसे फल के रूप में भी खा सकते हैं। इस फल की ऊपरी परत काफी कठोर होती है। इसे सामान्य भाषा में गिर कहा जाता है। इसके अंदर का हिस्सा मुलायम होता है। इसके बाद गिर की सफाई करके उसे धूप में सुखाया जाता है। और बाद में मंडियों में इसे बेचा जाता है।
कबीट देश में बहुत कम मात्रा में पाया जाता है, मगर मालवा में इसके अधिक पेड़ पाए जाते हैं। कबीट का सर्वाधिक उपयोग औषधीय दवाइयां बनाने में किया जाता है। इसे खाने से मधुमेह, हृदय रोग जैसी समस्याओं से निजात मिलता है और पाचन तंत्र के लिए यह बहुत उपयोगी माना जाता है। मालवा क्षेत्र और आगर मालवा में इस समय मैदानी इलाकों में कबीट के ढेर दिखाई दे रहे हैं।