उत्तर प्रदेश सरकार पशुपालकों को गोवंश पालन के लिए प्रोत्साहित करने के साथ देशी नस्लों के संरक्षण और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठा रही है। इसी कड़ी में 'नंदनी कृषक समृद्धि योजना' की शुरुआत की जा रही है, जिसके तहत पशुपालकों को बैंकों के लोन पर 50% सब्सिडी दी जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने 8 साल के कार्यकाल में गोवंश संरक्षण को लेकर मिसाल पेश की है। उन्होंने अवैध बूचड़खानों पर सख्त कार्रवाई करते हुए गोवंश तस्करी पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसके अलावा, सरकार सड़कों पर बेसहारा गोवंश की समस्या के समाधान के लिए भी लगातार प्रयास कर रही है।
योगी सरकार ने अब तक प्रदेश में 7,700 से अधिक गोआश्रय केंद्र स्थापित किए हैं, जहां 12.5 लाख निराश्रित गोवंश को सुरक्षित रखा गया है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1.62 लाख गोवंश 1 लाख लाभार्थियों को सौंपे गए हैं, और प्रत्येक लाभार्थी को प्रति माह 1,500 रुपये की सहायता राशि दी जा रही है। इसके अलावा, गोआश्रय केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्मी कंपोस्ट उत्पादन और गोबर-गोमूत्र प्रसंस्करण की तकनीक सिखाई जा रही है। राष्ट्रीय चारा अनुसंधान केंद्र, झांसी की मदद से उन्नत चारे का उत्पादन और संरक्षण करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गोवंश प्रेम दिखावे तक सीमित नहीं, बल्कि वास्तविक रूप से गहरी आस्था से जुड़ा हुआ है। जब भी वे गोरखनाथ मंदिर में होते हैं, उनका दिनचर्या मठ की गोशाला से शुरू होता है। गोवंश भी उनकी आहट पहचानते हैं और उनके पास आने के लिए उत्साहित रहते हैं। योगी आदित्यनाथ हर गाय को नाम से पुकारते, पुचकारते हैं और उन्हें हरा चारा, चना, गुड़ व रोटी खिलाते हैं। गोरखनाथ मंदिर की गोशाला में 400 से अधिक गोवंश हैं, जो सभी देशी नस्लों के हैं।
गोवंश पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार पशुपालकों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। ‘नंदनी कृषक समृद्धि योजना’- देशी नस्लों के संरक्षण और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए बैंकों से मिलने वाले लोन पर 50% सब्सिडी। ‘अमृत धारा योजना’- 2 से 10 गायों के पालन पर सरकार 10 लाख रुपये तक का अनुदानित ऋण प्रदान करेगी। 3 लाख रुपये तक के ऋण के लिए गारंटर की जरूरत नहीं होगी।
गोवंश संरक्षण के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान: योगी सरकार ने छुट्टा गोवंश के संरक्षण के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है। इसके पहले अनुपूरक बजट में 1,001 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। बड़े गोआश्रय केंद्रों की लागत को बढ़ाकर 1.60 करोड़ रुपये कर दिया गया है। मनरेगा योजना के तहत पशुपालकों को सस्ते में कैटल शेड और गोबर गैस प्लांट लगाने की सुविधा दी जा रही है।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देंगे गोआश्रय केंद्र: सरकार की योजना है कि सभी गोआश्रय केंद्र गोबर और गोमूत्र के प्रसंस्करण के माध्यम से आत्मनिर्भर बनें और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें। गोबर और गोमूत्र से जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशक का उत्पादन, जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग से किसानों की आय में वृद्धि, बुंदेलखंड क्षेत्र को प्राकृतिक खेती के लिए प्राथमिकता दी जायेगी।
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